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मनोज सिन्हा एक सप्ताह में दूसरी बार पहुंचे अपने गांव,

गाजीपुर: जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा इन दिनों अपने पैतृक गांव मोहनपुरा में हैं। वे अपने पैतृक आवास पर आयोजित सप्त दिवसीय भागवत कथा के सिलसिले में आए हुए हैं। इस भागवत कथा का समापन 8 नवंबर को होना है। भागवत कथा के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया है। इसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम गणमान्य राजनीतिक हस्तियों के शिरकत करने की पुष्टि हो चुकी है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भागवत कथा और उसकी तैयारियों को लेकर विगत एक माह में एलजी सिन्हा और उनके बेटे अभिनव सिन्हा कई बार गाजीपुर का दौरा कर चुके हैं। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार और एक माह के अंदर तीसरी बार गाजीपुर आए हैं। उनकी यह यात्राएं भागवत कथा की तैयारियों से जुड़ी हुई थी। एलजी सिन्हा के अलावा उनके पुत्र अभिनव सिन्हा भी कई बार भागवत कथा की तैयारियों के सिलसिले में अपने पैतृक गांव मोहनपुरा आए। बताते चलें कि राजनीतिक हलके में इन यात्राओं को 2024 के लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। संभावनाओं के अनुसार मनोज सिन्हा 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, खुद एलजी सिन्हा ने इस बाबत अब तक किसी भी मंच से अपनी इच्छा को सार्वजनिक नहीं किया है।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. शम्मी सिंह के अनुसार मनोज सिन्हा एक संजीदा किस्म के राजनेता हैं। भारतीय राजनीति में उनकी छवि एक साफ-सुथरे नेता के तौर पर है। ऐसे में इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि अपने पैतृक गांव में सप्त दिवसीय भागवत कथा के आयोजन के समापन पर तमाम राजनीतिक हस्तियों और नामचीन लोगों के आगमन को लेकर के बीजेपी कार्यकर्ता और उनके समर्थकों के खासा उत्साह है।

भागवत कथा के आयोजन के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे है। बहुत हद तक संभव है कि मनोज सिन्हा इस आयोजन के जरिए गाजीपुर से विगत कुछ दिनों से सक्रिय रूप से जुड़े नहीं रहने की कमी को पाटना चाहते हो। गवर्नर होने के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर के अपनी जिम्मेदारियों से कम ही वक्त मिलता था गाजीपुर आने का। हालांकि वह इस बात को स्वीकारते रहे हैं कि भले ही वह गाजीपुर कम आते हो।ऐसा उनकी एलजी के पद से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों के कारण है। लेकिन ,जज्बाती और भावनात्मक रूप से वह गाजीपुर सदैव से जुड़े रहें हैं।

गाजीपुर आज भी उनके दिल में बसता है। दरअसल, मनोज सिन्हा ने 1985 के लोकसभा चुनावों से सक्रिय राजनीति में एंट्री की थी। इससे पहले उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय मैं छात्र राजनीति से जुड़ी गतिविधियों में अपनी सक्रियता बनाई थी।उन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीता भी था।1996,1999 के बाद वह 2014 में गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए।2014 में पहली बार सत्ता में आई मोदी सरकार में उन्हें टेलकाम और रेलवे जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय को संभालने की जिम्मेदारी दी थी।