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केजीएमयू में एक मां ने अपने 21 वर्षीय बेटे को नया जीवन दिया। बेटे की दोनों किडनी खराब हो गई थीं। उसका जीवन बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में मां किडनी दान के लिए आगे आई। शनिवार सुबह प्रत्यारोपण शुरू हुआ जो दोपहर तक पूरा हो सका। प्रत्यारोपण के बाद मरीज की हालत स्थिर है।
केजीएमयू में इसी महीने किडनी प्रत्यारोपण शुरू हुआ है। उस समय ब्रेन डेड व्यक्ति की किडनी प्रत्यारोपित की गई थी। जबकि शनिवार को पहला लिविंग ट्रांसप्लांट किया गया। केजीएमयू अब शहर में पीजीआई के बाद दूसरा संस्थान बन गया है, जहां लिवर और किडनी दोनों के प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह ने बताया कि हरदोई निवासी 21 वर्षीय युवक की किडनी खराब हो गई थी।
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विवि के यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और ट्रांसप्लांट यूनिट के डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण किया। प्रत्यारोपण से ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में लगी पैथोजन रीडक्शन मशीन के माध्यम से संक्रमण से मुक्त करके रक्त का उपयोग किया गया। यह मशीन हाल ही में विभाग में लगाई गई है। सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में लगने वाली यह पहली मशीन है। इसकी सहायता से खून को पूरी तरह से विसंक्रमित किया जा सकता है।
केजीएमयू में पहली बार वर्ष 2016 से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारियां शुरू हुई थीं। प्रत्यारोपण के लिए विशेष ऑपरेशन थियेटर और डायलेसिस की दो विंग स्थापित की गईं लेकिन यहां के एकमात्र नेफ्रोलॉजिस्ट ने वर्ष 2018 में इस्तीफा देकर एक निजी अस्पताल ज्वॉइन कर लिया। इसके बाद प्रत्यारोपण शुरू नहीं हो पा रहा था। इसी महीने ब्रेन डेड युवक की किडनी एक बुजुर्ग में प्रत्यारोपित की गई थी।
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केजीएमयू में एक मां ने अपने 21 वर्षीय बेटे को नया जीवन दिया। बेटे की दोनों किडनी खराब हो गई थीं। उसका जीवन बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में मां किडनी दान के लिए आगे आई। शनिवार सुबह प्रत्यारोपण शुरू हुआ जो दोपहर तक पूरा हो सका। प्रत्यारोपण के बाद मरीज की हालत स्थिर है।
केजीएमयू में इसी महीने किडनी प्रत्यारोपण शुरू हुआ है। उस समय ब्रेन डेड व्यक्ति की किडनी प्रत्यारोपित की गई थी। जबकि शनिवार को पहला लिविंग ट्रांसप्लांट किया गया। केजीएमयू अब शहर में पीजीआई के बाद दूसरा संस्थान बन गया है, जहां लिवर और किडनी दोनों के प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह ने बताया कि हरदोई निवासी 21 वर्षीय युवक की किडनी खराब हो गई थी।
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केजीएमयू में पहली बार वर्ष 2016 से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारियां शुरू हुई थीं। प्रत्यारोपण के लिए विशेष ऑपरेशन थियेटर और डायलेसिस की दो विंग स्थापित की गईं लेकिन यहां के एकमात्र नेफ्रोलॉजिस्ट ने वर्ष 2018 में इस्तीफा देकर एक निजी अस्पताल ज्वॉइन कर लिया। इसके बाद प्रत्यारोपण शुरू नहीं हो पा रहा था। इसी महीने ब्रेन डेड युवक की किडनी एक बुजुर्ग में प्रत्यारोपित की गई थी।
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