Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

फिजां में क्रिसमस की उमंग

Ranchi :    क्रिसमस नजदीक आ रहा है. प्रभु यीशु का जन्मदिन यानी क्रिसमस मनाने की तैयारियां तेज हो गईं हैं. झारखंड के चर्च सजने-संवरने लगे हैं. इसके लिए लोग अपने अपने ढंग से तैयारी कर रहे हैं. रांची सहित राज्य के अन्य हिस्सों में क्रिसमस गैदरिंग का दौर शुरू हो गया है. क्रिसमस की उमंग फिंजा में घुलने लगी है.इसके लिए प्रार्थना सभा से लेकर तमाम आयोजन किए जा रहे हैं. इसकी तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है. ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस पर चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं. घर में क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा है, ईसाई समाज में क्रिसमस ट्री को ईश्वर की ओर से दिए जाने वाले लंबे जीवन के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है. इस समाज में मान्यता है कि घर में क्रिसमस ट्री सजाने से घर के बच्चों की आयु लम्बी होती है. कई लोग आकर्षक लाइटिंग करते हैं.केक काटते हैं. विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर पार्टी करते हैं. क्रिसमस को लेकर बाजार भी सज गए हैं. क्रिसमस पर शुभम संदेश ने राज्यभर से जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.

रांची 
26 हजार रुपये इकठ्ठा कर बहुबाजार में रखी थी संत पॉल कैथेड्रल की नींव

बहुबाजार, रांची स्थित संत पॉल कैथेड्रल 147 साल पुराना है. निर्माण से लेकर अभी तक चर्च तो वही रहा पर इसके अधिकारिक मालिक बदलते गए. संत पॉल कैथेड्रल वर्तमान में सीएनआई के छोटानागपुर डायसिस के अंतर्गत आता है. डायसिस के बिशप बीबी बास्के हैं. यह कैथेड्रल रांची पैरिश का है. पैरिश के पल्ली पुरोहित रेव्ह जेएम टोपनो हैं. इस चर्च में रेव्ह जेएम टोपनो के साथ ही तीन अन्य पुरोहित – रेव्ह संजय तिग्गा, रेव्ह सैमुएल भुईयां, रेव्ह जेडब्लू तिलमिंग सेवा दे रहे हैं. ब्रिटिश आर्मी में आईरिशमैन ईटी डाल्टन 1870 में छोटानागपुर डायसिस के कमिशनर थे. उन्होंनें क्षेत्र में एक बड़े कलीसिया की जरूरत को देखते हुए खुद 26 हजार रुपये इकठ्ठा कर बहुबाजार स्थित संत पॉल चर्च की नींव रखी. क्योंकि इससे पूर्व आराधना एक झोपड़ी में होती थी. इसका निर्माण कार्य जर्मन मिशनरी के हैजॉर्ग ने किया था. चर्च के निर्माण के साथ ही उन्होंने संत बरनाबास हॉस्पिटल की भी नींव रखी थी. जब इन दोनों भवनों का निर्माण हो रहा था तब निरीक्षण के दौरान वे घोड़े से गिर गए और उनका पैर टूट गया. बेहतर इलाज के लिए वे जर्मनी चले गए. इस बीच दोनों भवनों का निर्णाण बंद हो गया. वापस लौटकर उन्होंने फिर से दोनों भवनों का निर्माण शुरू किया और 1873 में चर्च बनकर तैयार हुआ.

निर्माण के 21 साल बाद मिला चर्च को कैथेड्रल का दर्जा

23 मार्च 1890 में संत पॉल चर्च को कलकत्ता डायसिस से अलग कर दिया गया. उस समय यह चर्च एंजलिकन चर्च के नाम से जाना जाता था. इसके बाद यह छोटानागपुर डायसिस का हिस्सा बना.निर्माण के 21 साल बाद चर्च को कैथेड्रल का दर्जा मिला. कैथेड्रल का दर्जा उसी को दिया जाता है, जहां बिशप बैठते हों. डायसिस के अलग होने के बाद इसके पहले बिशप बने बिशप जेसी विटली. चर्च परिसर में एसपीजी मिशन के नाम से एक नाव का मॉडल है. इसके बारे में रेव्ह सिरिल हंस ने बताया कि छोटानागपुर में एसपीजी मिशन की शुरुआत 1869 में थोमस ब्रे ने की थी. उन्होंने इस संस्थान की स्थापना क्रिश्चियन समाज के धर्म प्रचार के लिए की थी. वे लोग नाव से यात्रा करते थे. छोटानागपुर की धरती पर मिशन कार्यों का शुरुआत इन्हीं ने की थी, इसलिए उनके स्मरण में चर्च परिसर में एसपीजी मिशन के नाव का एसपीजी मॉडल बनाया गया है.

101 वर्षों तक एंजलिकन चर्च का हिस्सा था संत पॉल कैथेड्रल

1869 में एसपीजी मिशन ने छोटानागपुर की धरती पर प्रचार-प्रसार का कार्य शुरू किया. इसके तहत आने वाले चर्च एसपीजी मिशन या एंजलिकन चर्च के नाम से जाने जाते थे. 1869 से लेकर 1970 तक ये एंजलिकन चर्च के नाम से ही प्रसिद्ध थे. एंजलिकन चर्च के अंदर भी कई छोटे-बड़े ग्रुप थे. एक ही चर्च के होने के बाद भी वे सभी अलग-अलग कार्य कर रहे थे. इसे देखते हुए छह बड़े चर्चों ने विचार-विमर्श करते हुए एक संस्थान का निर्माण करने का फैसला लिया और 29 नवंबर 1970 में चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) बनाया. फिलहाल संत पॉल कैथेड्रल भी इसी के अंतर्गत आता है.

लगातार को पढ़ने और बेहतर अनुभव के लिए डाउनलोड करें एंड्रॉयड ऐप। ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करे

धनबाद 
बेहतर स्थापत्यकला का नमूना है 112 वर्ष पुराना संत मेरी चर्च

धनबाद स्टेशन रोड स्थित संत मेरी चर्च 112 वर्ष पूरे कर लिये हैं. चर्च का निर्माण वर्ष 1910 में हुआ था. निर्माण कार्य वर्ष 1907 में प्रारंभ हुआ, वर्ष 1910 में पूरा हुआ. चर्च में खास तरह के पत्थर के साथ महंगी लकड़ियों का इस्तेमाल किया गया है. 112 वर्ष के बाद भी इसकी चमक-दमक आकर्षित कर रही है. संत मेरी चर्च का संचालन “चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया” द्वारा किया जा रहा है. चर्च में एक साथ 200 लोग प्रार्थना कर सकते हैं.

जोर-शोर से चल रही है क्रिसमस की तैयारियां

कोरोना काल के बाद इस वर्ष चर्च में क्रिसमस की तैयारियां भी जोर शोर से चल रही हैं. 24 दिसंबर की रात 12 बजते ही मसीह समाज के लोग यीशु के जन्मोत्सव पर खुशियों में डूब जाएंगे. केक कटेगा, चॉकलेट बंटेंगे और संगीत की ध्वनि से चर्च गूंज उठेगा. संत मेरी चर्च में आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी है. 25 दिसंबर की सुबह से ही सेलिब्रेशन का दौर चलेगा.

रात में 150 लोग जुटेंगे

चर्च स्टेशन रोड में 24 दिसंबर की शाम 6 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत होगी. प्रभु यीशु का जन्म दिवस मनाया जाएगा, जिसमें करीब 150 लोग शामिल होंगे. प्रवेश प्रार्थना थॉमस बजराय करेंगे. रात 11 बजे से प्रवेश प्रार्थना, प्रोसेशन गीत, सुसमाचार, आशीर्वचन समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम होंगे. दूसरे दिन 25 दिसंबर को सुबह 7.30 बजे से प्रार्थना सभा होगी.

गलतियों को क्षमा करें हर वर्ग की मदद करें

पादरी थॉमस बाजरे कहते हैं कि जीसस के करीब पहुंचना काफी आसान है. बस उनके कहे गए रास्ते पर चलना होगा. उन्होंने बताया कि जीसस का कहना है कि अपने समान अपने पड़ोसियों से प्रेम कीजिये, तभी आप मेरे सही अनुयायी हैं. पड़ोसी हो, समाज के लोग हों, सभी की गलतियों को क्षमा करें तथा समाज के सभी वर्ग की मदद करें.

थॉमस बाजरेखुशी का पैगाम लेकर आएंगे प्रभु 

संत मेरी चर्च, स्टेशन रोड के पादरी थॉमस बाजरे कहते हैं कि 24 दिसंबर को प्रभु यीशु के जन्म का दिन है. यह खुशी का पैगाम लेकर आएगा. पापियों को पाप से बचाने के लिए शांति, अनंत जीवन देने के लिए प्रभु का जन्म हुआ है. सभी लोग मिल कर रहे और इस दिन को मनाए.

गिरिडीह 
यीशु के अवतरण की तैयारी में जुटा है गिरिडीह का 133 साल पुराना गिरिजाघर

133 साल पुराना है चर्च

गिरिडीह की उप नगरी पचम्बा में स्थित सीएनआई चर्च 133 साल पुराना होने के साथ ही गिरिडीह जिले का सबसे पुराना गिरिजाघर है. ब्रिटिश काल में सन 1889 में इस चर्च का निर्माण किया गया था. यहां चर्च परिसर में पहले लड़कियों और लड़कों के होस्टल हुआ करते थे. फिलहाल यहां एक मध्य विद्यालय संचालित है. क्रिसमस के मौके पर यहां आराधना के लिए इतने लोग जमा हो जाते हैं कि कुछ लोग चर्च के बाहर खड़े होकर आराधना करते हैं. चर्च के पास्टर सनी दास हैं.

पास्टर सनी दासपाप से छुटकारा देने यीशु धरती पर आये  

पास्टर सनी दास ने कहा है कि क्रिसमस खुशी, शांति, सदभाव का त्योहार है. बड़े दिन में सभी मसीही यीशू मसीह के जन्म की खुशियां मनाते हैं. हम इसलिए खुश होते हैं कि यीशु मसीह ने सारे जगत के लोगों को पाप से छुटकारा देने के लिए एक मनुष्य के रूप में संसार में अवतरित हुए. यीशु मसीह ने कहा कि जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह नाश नहीं होगा, उन्हें अनंत जीवन मिलेगा. क्रिसमस हर साल हमारे जीवन में एक नया संदेश लेकर आता है.

 

घाटशिला 
मऊभंडार का संत एंथोनी चर्च घाटशिला के सबसे पुराने चर्चों में से एक है

घाटशिला में सबसे पुराना मऊभंडार का संत एंथोनी चर्च है. इसकी स्थापना ब्रिटिश शासन काल के दौरान सन् 1932 में अंग्रेजों ने की थी. इसके बाद 1983 में फादर ग्रेस ने चर्च को आपसी सहयोग एवं श्रमदान से ईंट से निर्मित कर बड़े आकार में सुंदर और मजबूत बनवाया. उस समय चर्च के सदस्यों का मासिक शुल्क 20 रुपया था लेकिन लोगों ने 100-100 रुपये की मदद देकर इसका सौंदर्याकरण कराया. चर्च के सदस्यों में मुख्य रूप से काउंसिल अध्यक्ष फादर सूरज टेटे, महासचिव पीटर इंदुवर, सहायक सचिव एंथोनी बोनिक सिगार, कोषाध्यक्ष टोनी शोलेवन, कांति इंदूवार, फोलोरा टेटे, मेरी टेटे, आरएन एंथोनी एवं अन्य शामिल हैं.

ब्रदर पीटर इंदुवार एवं ब्रदर आरएन एंथोनीप्रभु यीशु मसीह के जन्म से दुनिया में लोगों को पाप से मुक्ति मिलती है

क्रिसमस एवं ईसाई धर्म के बारे में ब्रदर पीटर इंदुवार एवं ब्रदर आरएन एंथोनी ने बताया कि प्रभु यीशु मसीह के जन्म से दुनिया में लोगों को पाप से मुक्ति मिली. जिन्होंने उन पर विश्वास किया और उन्हें आत्मसात किया और जो उनके नाम से जीते हैं, उनके अनुयायी के लिये बाइबल के लुक चैप्टर 2 के 10 और 11 में संदेश है कि डरो मत तुम्हारे लिये आनंद और शुभ समाचार लाया हूं, आज दाऊद की नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्त्ता का जन्म हुआ है, वह मसीह है. बाइबल के सभी संदेश आपसी भाईचारा और प्रेम सिखाने वाला है.

10 दिन पूर्व से की जा रही है क्रिसमस की तैयारी

बताया गया कि इस वर्ष क्रिसमस का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. कोरोना काल के कारण पिछले दो वर्ष धार्मिक स्थल बंद होने के कारण त्योहार मनाना काफी मुश्किल हो गया था. इस वर्ष क्रिसमस की तैयारी 10 दिन पूर्व से की जा रही है. इसमें चर्च का रंग रोगन, साफ सफाई एवं लाइट सज्जा का कार्य अंतिम रूप में है. क्रिसमस का त्योहार आनंद, मेल-मिलाप और प्रेम का संदेश देने वाला त्योहार है. इस अवसर पर 24 दिसंबर की शाम 8 से रात्रि 11 बजे तक क्रिसमस मिस्सा का आयोजन होगा. इसमें पादरी द्वारा बाइबल से विशेष संदेश दिया जाएगा.

हजारीबाग
 छोटानागपुर के सबसे पुराने संत स्टीफन चर्च में क्रिसमस की धूम

जैसे-जैस क्रिसमस का पर्व नजदीक आ रहा है, चर्च की रौनक बढ़ती जा रही है. हजारीबाग में तो कई चर्च हैं, लेकिन उन गिरजाघरों में सबसे पुराना रांची-पटना रोड एनएच-33 प्राइवेट बस स्टैंड के पास संत स्टीफन चर्च है. इसे अंग्रेजों ने 1842 में बनाया था. इस चर्च को बनाने का मुख्य उद्देश्य अंग्रेज सैनिकों के लिए आराधना स्थल बनाना था.

खासियत

 

यह चर्च हजारीबाग का ही नहीं, बल्कि पूरे छोटानागपुर का सबसे पुराना चर्च है. डायसिस की स्थापना के दो साल पहले 1892 में प्रथम बिशप के अनुरोध पर डबलीन यूनिवर्सिटी मिशन के धर्म सेवक ने रांची से आकर चर्च का निर्माण किया था. ऐसे में यह चर्च आकर्षण का केंद्र बिंदु और ऐतिहासिक भी है. खासकर क्रिसमस के दौरान यहां दूरदराज से लोग पहुंचते हैं और प्रार्थना करते हैं. यह चर्च ईसाई धर्मावलंबियों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य समुदाय के लोग भी आते हैं.
साज-सज्जा : क्रिसमस के अवसर पर चर्च को सजाया संवारा जा रहा है. आकर्षक विद्युत सज्जा दूर से ही लोगों को यह अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. क्रिसमस के अवसर पर ईसाई समुदाय के लोग यहां बालक यीशु की प्रतिमा के साथ चरनी भी बना रहे हैं. वहीं चर्च के आसपास के क्षेत्र में तोरण द्वार भी लगाए गए हैं.

संदेश : 

चर्च के फादर रविकेस मनोज नाग ने क्रिसमस के अवसर पर लोगों को संदेश दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर आप यीशु में विश्वास रखते हैं, तो परमेश्वर आपके पिता होंगे और आप उनके प्रिय संतान होंगे. उनके सनातन स्वर्गीय राज्य का अंग बन जाएंगे. यीशु का बलिदान हमें परमेश्वर के पास वापस लाने का एकमात्र मार्ग था, क्योंकि पाप हमें उनसे अलग करता है. सैकड़ों वर्ष पहले प्रेम, मानवता का संदेश देने और मनुष्य के पाप हरने के लिए ईश्वर ने अपने पुत्र को धरती पर 25 दिसंबर को भेजा था. प्रभु यीशु ने पूरे जीवन काल में मानव को प्रेम का संदेश दिया और लोगों के पाप लेकर इस दुनिया से विदा हुए.
कार्यक्रम : क्रिसमस के अवसर पर 24 दिसंबर की रात 11:00 बजे से विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा. यह देर रात 1:00 बजे तक समाप्त होगा. अगले दिन समाज के हर लोग आकर चर्च में कैंडल जलाएंगे.

बेरमो
ढोरी माता तीर्थस्थल पर क्रिसमस का आशीर्वाद लेने जुटती है श्रद्धालुओं की भीड़

 

बेरमो प्रखंड के जारंगडीह स्थित मां मरियम का प्रतिरूप ढोरी माता तीर्थस्थल है. ईसाई धर्म के मानने वाले लोग यहां आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. 1957 में ढोरी माता की पवित्र मूर्ति स्थापित की गई. हर वर्ष के अक्टूबर महीने के अंतिम शनिवार और रविवार को बड़ी संख्या ईसाई धर्म के मानने वाले लोग यहां पहुंचते हैं और प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं. बोकारो जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर ढोरी माता का तीर्थालय है. यहां पिछले कई वर्षों से लगातार ईसाई धर्मावलंबी माता मरियम के आशीर्वाद के लिए 25 दिसंबर को भी पहुंचते हैं.

 

फादर माइकल लकड़ायीशु का जन्मोत्सव है 

फादर माइकल लकड़ा ने कहा कि प्रभु यीशु ख्रीस्त का इस धरती पर आने का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है, जब तक ईश्वर को अपने दिल से आत्मसात नहीं कर लेते हैं. प्रभु यीशु ख्रीस्त का जन्म से लेकर मरण तक एक ही संदेश था, वह प्रेम का है. क्रिसमस शांति के राजकुमार यीशु का जन्मोत्सव है. यीशु हर कीमत पर न्याय के लिए खड़े हुए और साहस के साथ सच्चाई को कायम रखा. क्रिसमस कैथोलिक कलीसिया के लिए समर्पण और प्रतिबद्धता को दोहराने और देशवासियों को प्यार करने का अवसर देता है.

चक्रधरपुर 
सफेद चर्च में हर साल उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

वर्ष 1941 में चक्रधरपुर के पोटका स्थित सफेद कैथोलिक चर्च का निर्माण कार्य पूरा हुआ था. चक्रधरपुर में वर्ष 1872 तक कैथोलिक विश्ववासियों की संख्या मात्र 205 थी. असुविधा के कारण 1902 से 1940 तक पुरोहित चाईबासा से आकर चक्रधरपुर के विश्वासियों को सु समाचार सुनाते थे. मिस्सा पूजा और प्रार्थना सभा रेलवे स्कूल या रेलवे इंस्टीट्यूट में हुआ करती थी. गिरजाघर के निर्माण को धन संग्रह के लिये फादर निओ डिरजारडिन एसजे, बीडी मेलो, एस डीसिल्वा और डुल्लिन्द्र ने हाउसी, व्हीट्स आदि खेलों का आयोजन किया. धन संग्रह के बाद 1941 में गिरजाघर का निर्माण कार्य पूरा हो पाया. वर्ष 1951 में फादर डिजारिडन स्थायी रूप से चक्रधरपुर में रहने के लिये आ गए, लेकिन 1953 में उनका देहांत हो गया. इसके बाद फादर निओ ने कार्यभार संभालते हुए फादर डिरारिडन के अधूरे सपने को पूरा करने का काम किया. चक्रधरपुर के सफेद गिरजाघर में प्रत्येक साल क्रिसमस के त्योहार पर प्रार्थना के लिये बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है. क्रिसमस के अवसर पर चर्च को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है. इस वर्ष भी क्रिसमस की तैयारियां अंतिम चरण पर है.

यीशु शांति व प्यार का देते हैं संदेश: ब्रदर अगस्तिन

चक्रधरपुर के सफेद कैथोलिक चर्च के ब्रदर अगस्तिन बरजो कहते हैं कि प्रभु यीशु हमें शांति व प्यार का संदेश देते हैं. वे कहते हैं कि प्रभु के बताए गए मार्ग पर चलकर ही हम अपना जीवन सफल कर सकते हैं. नियमित प्रार्थना से मन में शांति आती है. प्रभु यीशु ने धरती पर आकर संसार से लोगों के बीच पनप रहे घृणा, पाप को दूर किया. प्रभु ने हम सभी के बीच भाईचारगी का संदेश दिया. क्रिसमस का त्योहार प्रभु के जन्म का त्योहार है. इसी दिन प्रभु का धरती पर आगमन हुआ था. क्रिसमस पर हम सभी मिलकर प्रभु का स्वागत कर प्रार्थना करते हैं. शांति और प्रेम ही हमें एक बेहतर इंसान बनाता है.

मनोहरपुर 
100 वर्ष पुराना है चर्च ऑफ नार्थ इंडिया का संत फ्रांसिस चर्च

सारंडा एवं पोड़ाहाट अंतर्गत संत फ़्रांसिस चर्च मनोहरपुर 100 साल पुराना है. वर्ष 1913 में मिशनरीज के रूप में अंग्रेज फादर के.जे.वी डिक्सन यहां आए थे. उनकी देखरेख में मनोहरपुर संत फ्रांसिस चर्च का भव्य भवन पहली अगस्त 1922 को बनकर तैयार हुआ था. 100 साल पूरे होने पर इस वर्ष चर्च में क्रिसमस पर शताब्दी समारोह आयोजित किया जाएगा. इसके लिये चर्च भवन के जीर्णोद्धार एवं रंगरोगन की तैयारी जोर शोर से चल रही है. मनोहरपुर संत फ्रांसिस चर्च का निर्माण ब्रिटिश वास्तुकला पर आधारित है.

फादर रेव दाउद टूटीयीशु का संदेश प्रेरणास्रोत है

संत फ्रांसिस चर्च के फादर रेव दाउद टूटी ने सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं और बधाई देते हुए कहा है कि प्रभु ईसा मसीह ने सेवा भाव एवं प्रेम शांति के साथ रहने का आशीर्वचन दिया था. प्रभु ईसा मसीह का संदेश वर्तमान समय में भी प्रेरणास्रोत व प्रासंगिक है. संसार में जब सामंतों द्वारा पाप दुराचार चरम पर था, परम पिता परमेश्वर के दूत के रूप में ईसा मसीह का पृथ्वी पर पदार्पण हुआ था. पापों की मुक्ति के लिये ईश्वर ने उद्धारकर्त्ता के रूप में प्रभु यीशु को भेजा है. ईसा मसीह महान संत के रूप में अवतरित हुए थे, जो धरती पर एक मानव बन कर जीए, ताकि मनुष्यों में पापाचार दुराचार और अन्यायों से मुक्ति दिला सकें. जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है. फादर रेव दाउद टूटी ने बताया कि जुबली समारोह कार्यक्रम में 24 दिसंबर की रात 11:00 बजे से विशेष प्रार्थना शुरू होगी. यह रात के 1:00 बजे तक चलेगी. अगले दिन 1:30 बजे दोपहर तक समुदाय के लोग आकर प्रार्थना करेंगे. यह सिर्फ ईसाई समुदाय के ही नहीं, बल्कि मानव समाज के लिये है. हम लोग प्रार्थना में यीशु को धन्यवाद ज्ञापन देंगे कि प्रभु ने हमें नया साल दिया है. नया साल हम लोगों में खुशी लाए. हम यह प्रण लेंगे कि प्रभु के दिखाए हुए मार्ग पर ही हम सभी चलें. विशेष कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया है. इसकी तैयारी अंतिम चरण में हैं.

 

आप डेली हंट ऐप के जरिए भी हमारी खबरें पढ़ सकते हैं। इसके लिए डेलीहंट एप पर जाएं और lagatar.in को फॉलो करें। डेलीहंट ऐप पे हमें फॉलो करने के लिए क्लिक करें।