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बीएसएनएल के बाद रेलवे ने भी चीन की कंपनी के साथ 471 करोड़ का करार रद्द किया, कहा- काम की रफ्तार धीमी

रेलवे ने चीनी कंपनी को दिया सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन का 471 करोड़ का करार रद्द करने का फैसला किया है। रेलवे ने चीन की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को 2016 में यह कॉन्ट्रैक्ट दिया था।

417 किलोमीटर लंबे सेक्शन में सिग्नलिंग का काम करना था
चीन की कंपनी को 471 करोड़ के इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के 417 किलोमीटर लंबे कानपुर और मुगलसराय सेक्शन में सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन का काम करना था। रेलवे ने कहा कि इस काम में कंपनी की रफ्तार काफी धीमी है। कंपनी को यह काम 2019 तक पूरा कर लेना था, लेकिन अभी तक केवल 20% काम ही पूरा हो पाया है। 

बीएसएनएल ने 4जी संसाधनों के अपग्रेडेशन के लिए चीनी प्रोडक्ट्स बैन किए
दरअसल, गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव के बाद सरकार चीन की कंपनियों पर सख्त रुख दिखा रही है। केंद्र ने बुधवार को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) से भी कहा था कि 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। सूत्रों के मुताबिक, टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया।

नए सिरे से टेंडर जारी कर सकता है टेलीकॉम डिपार्टमेंट
अब टेलीकॉम डिपार्टमेंट 4जी सर्विस के अपडेशन के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर सकता है। इसके अलावा केंद्र सरकार इस पर भी विचार कर रही है कि प्राइवेट ऑपरेटरों से भी कहा जाए कि वे भी चीनी कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता कम करें। टेलीकॉम कंपनियां जैसे- भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया फिलहाल हुवेई के साथ काम कर रही हैं जबकि बीएसएनएल जेडटीई के साथ काम करता है। सरकारी सूत्रों का मानना है कि चीनी कंपनियों के प्रोडक्ट नेटवर्क सुरक्षा को लेकर हमेशा ही खतरा रहे हैं।