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40 गांवों काे बाढ़ से 2 नाव एक रेस्क्यू वाहन से बचाएंगे

मानसून की तैयारियों को लेकर हर साल बैठक तो होती है, लेकिन पिछले कई वर्ष से संसाधन नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। जिले की बात करें तो आपदा मोचक बल के पास सिर्फ दो रबर बोट और एक रेस्क्यू वाहन है। ऐसी स्थिति में यदि कुछ गांवों में ही बाढ़ जैसे हालात बन जाएं तो निपटना मुश्किल होगा।
हालांकि अफसरों ने बताया कि बोट की कमी को वह आसपास के जिलों से पूरा कर सकते हैं। वहीं सरगुजा जिले का बल पूरे संभाग में सर्वश्रेष्ठ है। यहां पर 31 गोताखोर और तैराकों की टीम है। यह टीम पूरे संभाग में कहीं पर भी जरूरत पर रेस्क्यू करने के लिए पहुंचती है। बारिश का मौसम शुरू हो गया है। जिले के अधिकांश बांध और जलाशयों में अभी से ही 70 फीसदी पानी भरा हुआ है। ऐसे में सौ से दो सौ मिमी बारिश होने पर ही यह फुल हो जाएंगे और बांध के गेट खोलने की स्थिति बनेगी। इसके लिए सिंचाई विभाग ने घुनघुट्‌टा बांध के डूब क्षेत्र और नहरों के आसपास लगे 30 गांव में अभी से अलर्ट जारी कर दिया है। वहीं यदि आपदा प्रबंधन विभाग की बात करें तो एसडीआरएफ प्रभारी इंद्रजीत वैद्य ने बताया कि संभाग में सबसे अधिक संसाधन जिले की टीम के पास हैं। ऐसे में किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए हम तैयार हैं।

आपदा से निपटने की तैयारी  
मानसून में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को लेकर कलेक्टोरेट में बैठक भी हो चुकी है। इसमें कलेक्टर ने नगर सेना के जिला कमांडेंट को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयारी रखने के निर्देश दिए हैं। एसडीआरएफ की टीम ने मरीन ड्राइव में मॉक ड्रिल भी की।

यह सामान उपलब्ध हैं
विभाग के पास एसडीआरएफ टीम के 31 तैराक व गोताखोर, दो रबड़ बोट, स्कूबा डाइविंग, एक एल्यूमीनियम बोट, एक रेस्क्यू वाहन, चार सर्च लाइट, 16 लाइफ जैकेट, चार तंबू, 400 नगर सैनिकों की टीम व सभी जरूरी संसाधन हैं।

एक ही रेस्क्यू वाहन
जिले के आपदा बल के पास एक ही रेस्क्यू वाहन मौजूद है। ऐसे में किन्हीं दो जगह आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए बाहर से वाहन मंगाने पड़ेंगे। अधिकारियों का कहना है कि रेस्क्यू वाहन की कमी तो हैं, लेकिन फिर भी जरूरत पड़ने पर सभी व्यवस्थाएं आसानी से हो जाती हैं।

नाव की संख्या बेहद कम
जानकारों की मानें तो बारिश के दिनों में हर ब्लॉक के सात से आठ गांव नदी-नाले उफान पर आने के बाद टापू बन जाते हैं। ऐसे में वहां ज्यादा दिनों तक ऐसी स्थिति बनने पर राहत सामग्री पहुंचाने के लिए नाव की जरूरत होगी। वहीं विभाग के पास सिर्फ दो रबड़ नाव हैं।

रबड़ की नाव 4 लोग उठा सकते हैं, इसलिए यह जरूरी
विभाग के पास दो रबड़ नाव हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसे चार लोग भी आसानी से उठा सकते हैं। रबड़ नाव की स्पीड अच्छी होती है। दस सीटर नाव से एक घंटे में 50 लोगों को रेस्क्यू किया जा सकता है।