इलाहाबाद हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कर निर्धारण वर्ष २०१७-१८ में वसूले गए ४० लाख रुपये के मामले में पारित प्रधान आयकर आयुक्त के आदेश को रद्द कर नए सिरे से आदेश पारित करने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची की ओर से वरिष्ठï अधिवक्ता मनीष गोयल, अध्यक्ष राधाकांत ओझा एवं महासचिव एसडी सिंह जादौन ने पक्ष रखा। कहा गया कि आयकर विभाग द्वारा वसूला गया ४० लाख रुपये का कर मनमाना और गलत है। मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई तो प्रधान आयकर आयुक्त ने उसे पेनाल्टी ड्राप को आधार बनाते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया गया। जबकि, एकलपीठ ने इस मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करने के आदेश पारित किया था।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रधान आयकर आयुक्त के आदेश को चुनौती दी है। इस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रधान आयकर आयुक्त के आदेश को रद्द करते हुए सुनवाई कर नए सिरे से आदेश पारित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश के बावजूद प्रधान आयकर आयुक्त ने पालन नहीं किया।
वरिष्ठï कर एवं वित्त सलाहकार पवन जायसवाल ने बताया कि बार एसोसिएशन अधिवक्ताओं के आपसी हित में पुण्यार्थ कार्य करता है। आयकर अधिनियम की धारा 12 (ए) के अंतर्गत हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चार वर्षों का रिमांड मामला अभी आयकर लखनऊ (छूट) के समक्ष लंबित है। हालांकि, एसोसिएशन की आय कर से मुक्त है। फिर भी विभाग द्वारा निर्धारण वर्ष 2016-17 से लेकर 2019-20 तक के मामले परीक्षण में लिए गए हैं।
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