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कैसे हो कल्याण ?

-झारखंड में अब तक 15 सूत्री कार्यान्वयन समिति का विधिवत गठन नहीं होना मूल कारण

-चालू वित्तीय वर्ष में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में 38 फीसदी कटौती

-झारखंड में केंद्र से अंतिम पैसा रघुवर सरकार में 2019-20 में आया, इसके बाद नहीं मिली एक पाई

Kaushal Anand

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Ranchi: देश में अल्पसंख्यकों के विकास और योजनाओं को लेकर केंद्रीय बजट में की गयी 38 फीसदी कटौती का मामला चर्चा में है. इसे लेकर केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यक (मुस्लिम) विरोधी होने के आरोप लग रहे हैं. लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. केवल झारखंड की बात की जाए, तो चार वित्तीय वर्ष से झारखंड सरकार का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अल्पसंख्यक कल्याण से जुड़ी योजनाओं का एक भी प्रस्ताव केंद्र को भेज ही नहीं पाया है. नतीजतन केंद्र से झारखं को चार वित्तीय वर्ष में एक पैसा भी अल्पसंख्यक कल्याण से जुड़ी योजनाओं को लेकर नहीं मिल सका. यदि राष्ट्रीय स्तर की बात करें, तो केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत 2023-24 के बजट में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में 38 प्रतिशत का कटौती की गयी है. 3097.60 करोड़ रुपये का प्रावधान ही किया गया है.

बजट में जितनी राशि का प्रावधान हुआ, उसका आधा ही खर्च हो सका

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में कटौती के पीछे की वजह कुछ और ही है. मूल कारण यह है कि गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत सरकार के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को 5020.50 करोड़ रुपये आवंटित किया गया गया था. इसमें राष्ट्रीय स्तर पर मात्र 2612.66 करोड़ ही खर्च हो पाया. नतीजतन केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 38 फीसदी की कटौती कर दी, जिसका सीधा खमियाजा अल्पसंख्यकों यानि मुस्लिम वर्ग को भुगतना पड़ेगा.

अल्पसंख्यक कल्याण का प्रस्ताव भी नहीं भेजा गया

बजट कटौती के पीछे की वजह विभिन्न राज्यों द्वारा प्रस्ताव नहीं भेजा जाना है. सिर्फ झारखंड की ही बात की जाए, तो केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा रघुवर सरकार के वक्त वित्तीय वर्ष 2019-20 में राशि दी गयी. इसके बाद न तो केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया और न ही केंद्र ने राशि आबंटित की. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में कोई प्रस्ताव केंद्र को भेजा नहीं गया. यही हाल कई अन्य राज्यों का भी रहा. बजट कटौती का यह एक बड़ा कारण सामने आया है.

आखिर क्यों नहीं भेजा जा सका झारखंड से प्रस्ताव

दरअसल केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेजने की प्रकिया है. 15 सूत्री कार्यान्वयन समिति द्वारा योजनाओं का चयन कर राज्य अल्पसंख्यक विभाग के माध्यम से केंद्र को भेजा जाता है. लेकिन झारखंड में हेमंत सरकार के गठन के बाद अब तक 15 सूत्री कार्यान्वयन समिति का अबतक विधिवत रूप से गठन ही नहीं हो पाया है. इसकी अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी है. केवल एक आदेश पत्र (23 दिसंबर 2022 को) जारी कर छोड़ दिया गया है. समिति के राज्य स्तर पर अध्यक्ष मुख्य सचिव होते हैं और 12 विभागों के सचिव इसके सदस्य होते हैं. जिला स्तर पर डीसी इसके अध्यक्ष होते हैं और अल्पसंख्यक क्षेत्र में कार्य करनेवाले व्यक्ति को इसमें सदस्य बनाया जाता है. जिला स्तर पर योजनाओं का चयन करना इनकी जवाबदेही होती है. इसके जरिए योजनाओं का चयन कर विभाग को भेजा जाता है और विभाग फिर केंद्रीय मंत्रालय को भेजता है. चूंकि अब तक हेमंत सरकार में 15 सूत्री कार्यान्यवन समिति का विधिवत गठन ही नहीं हो सका है, इसलिए केंद्र को प्रस्ताव भी नहीं भेजा जा सका है.

ये हो रहा है नुकसान

चार वर्षों से अल्पसंख्यकों से संबधित एक भी योजना का प्रस्ताव भारत सरकार को नहीं भेजे जाने के कारण अल्पसंख्यक विशेष कर मुस्लिम वर्ग के शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक विकास से जुड़ी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न योजनाओं में मिली राशि, खर्च और वर्तमान में की गयी कटौती

वित्तीय वर्ष-केंद्र द्वारा आंवटित राशि (करोड़ में) -खर्च (राष्ट्रीय स्तर पर)

योजना : प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप

2023-24: 433 करोड़-

2022-23: 1425 -556.82

मेरिट कम मेन्स

2023-24: 44

2022-23: 365-358

पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप

2023-24: 1056-

2022-23: 515-पूरा राशि खर्च हुई

मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप

2023-24: 96

2022-23: 99- 80

अल्पसंख्यक छात्रों के लिए फ्री कोचिंग स्कीम

2023-24: 30

2022-23: 79-29

कौमी वक्फ बोर्ड तरक्कीयात योजना

2023-24: 17

2022-23: 15- पूरी राशि खर्च

पीएम विरासत संवर्द्धन योजना

2023-24 : 540

2022-23: 00

पीएम जन विकास कार्यक्रम

2023-24: 600

2022-23: 1650-500

मदरसा-अल्पसंख्यक संस्थान शिक्षा योजना

2023-24: 10

2022-23: 160-30

नोट : केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की अन्य योजनाओं का हाल भी इसी तरह का है. जिस कारण केंद्रीय बजट में 38 फीसदी तक की कटौती की गयी है. इसके लिए विभागीय अफसरों की उदासीनता पूरी तरह जिम्मेवार है.

पैसे खर्चेंगे नहीं, प्रस्ताव भेजेंगे नहीं, तो बजट में कटौती होगी ही : एस अली

अल्पसंख्यक मामलों के जानकार व विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े एस अली का कहना है कि अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम बस इस बात को लेकर ही खुश हो जाते हैं कि गैर भाजपा सरकार है, तो सब ठीक होगा. वर्तमान में केंद्रीय बजट में जो कटौती की गयी है, इसे लेकर केंद्र सरकार को विभिन्न माध्यमों से कोसा जा रहा है. लेकिन इसकी जड़ में बात ही कुछ और है. अगर केंद्रीय बजट की राशि ही राज्य खर्च नहीं करेंगे या कोई राज्य प्रस्ताव ही नहीं भेजेगा, तो निश्चित है कि बजट में कटौती होगी. सिर्फ झारखंड की बात करें, तो यहां 15 सूत्री क्रियान्वयन समिति का गठन तीन साल में नहीं हो सका. ऐसे में प्रस्ताव भेजे जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.