Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

ध्यानचंद और अहमद की दीवानगी बेटों को भी ओलंपिक तक ले गई

ललित नारायण कटारिया, भोपाल (नईदुनिया)। खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में हॉकी का नाम स्वर्णिंम अक्षरों में दर्ज है। भोपाल के पिता-पुत्र हॉकी खिलाड़ियों के जिक्र के बिना भारतीय हॉकी का इतिहास अधूरा है। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने अपने-अपने दौर में ओलंपिक में देश के लिए पदक जीते हैं। अहमद शेर खान ने हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ‘दद्दा’ के साथ 1936 बर्लिंन ओलंपिक में स्वर्ण जीता तो अहमद के बेटे असलम शेर खान और दद्दा के बेटे अशोक कुमार के नाम 1972 म्यूनिख ओलंपिक का कांस्य पदक है। बाद में इस जोड़ी ने 1976 मांट्रियल में भी अपनी स्टिक का जादू दिखाया।

ये अशोक व असलम की जोड़ी ही थी कि जिसने 1975 में भारतीय टीम को पहली बार विश्व कप खिताब दिलाया। 1972 म्यूनिख और 1976 मांट्रियल ओलंपिक में भारतीय टीम में अजीत सिंह भी थे। उनके बेटे गगन अजीत सिंह ने 2000 सिडनी और 2004 एथेंस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा वेस पेस और लिएंडर पेस ने भी अलग-अलग खेलों में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वेस पेस 1972 म्यूनिख ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे, जबकि उनके बेटे लिएंडर पेस ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में टेनिस में कांस्य पदक जीता था।