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48 घंटे से जारी बारिश ने राज्य को पानी-पानी किया, सड़कें तालाब बनीं, घरों में घुसा पानी; मंगलवार को भारी बारिश की चेतावनी

पिछले 48 घंटे से जारी बारिश ने छत्तीसगढ़ के कई इलाकों को पानी-पानी कर दिया है। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, धमतरी, कवर्धा, दंतेवाड़ा में निचले इलाके डूब गए हैं। भिलाई में पानी लोगों के घरों में घुस गया है। कोरोना के बीच अब लोगों को संक्रमण का डर सता रहा है। कई जगहों पर पेड़ टूटकर भी गिरे हैं। सड़कें तालाब में बदल गई हैं। जगह-जगह हुए प्रदेश में नदी-नाले उफान पर हैं। मौसम विभाग ने मंगलवार को भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। यही स्थिति बुधवार को भी बनी रहेगी। 

ये तस्वीर रायपुर के सेज विहार इलाके की है। जोरदार बारिश के चलते पानी सड़कों से लेकर लोगों के घरों तक में भर गया है। 

कहां-कितनी बारिश

जिलाबारिश (मिमी)
रायपुर129.8
दुर्ग61
बिलासपुर26
राजनांदगांव40.4
गरियाबंद120
धमतरी120
बालोद120
दंतेवाड़ा60

रायपुर : रिकार्ड बारिश, मेयर दौरे पर निकले
पिछले 24 घंटे के दौरान प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश रायपुर में 129.8 मिमी रिकार्ड की गई है। यहां रविवार शाम से बारिश का दौर लगातार जारी है। इसके चलते सोमवार से लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। तेज बारिश और जलभराव के चलते लोग अपने घरों में ही फंस गए। सारी रात बारिश होने से कई इलाकों में पानी भर गया। सुबह मेयर एजाज ढेबर इलाकों का दौरा करने निकले। इस दौरान कुछ जगहों पर घुटने तक पानी देखने को मिला। 

रायपुर में सारी रात बारिश होने से कई इलाकों में पानी भर गया।

भिलाई : कॉलोनी के बाहर, घरों में घुसा पानी, कई जगह पेड़ टूटे
ऐसे ही कुछ हालात भिलाई में हैं। तेज बारिश के चलते कई कॉलोनियों के बाहर पानी भर गया है। कई स्थानों पर लोगों के घराें में पानी घुस गया है। घुटने तक भरे पानी में लोगों के घरों के सामान तैर रहे हैं। सीवरेज और जल निकाली नहीं होने की नगर निगम की पोल बारिश ने खोलकर रख दी है। कई स्थानों पर पेड़ टूटकर गिरे हैं। रिसाली क्षेत्र की पॉश कॉलोनी मैत्री नगर, इस्पात नगर, वीआईपी नगर, शक्ति विहार, प्रदर्शनी नगर, आशीष नगर जलमग्न हो चुके हैं। 

भिलाई में तेज बारिश के चलते कई कॉलोनियों के बाहर पानी भर गया है। कई स्थानों पर पेड़ टूटकर तारों पर गिरे हैं। जिसके कारण बिजली सप्लाई भी बंद कर दी गई है।

धमतरी : ओडिशा को जोड़ने वाले मार्ग पर 3 फीट पानी
धमतरी में बारिश से सुबह थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन लगातार बरसा पानी लोगों के घरों में घुस गया है। श्यामतराई क्षेत्र में घरों में रखा सामान पानी में तैर रहा है। कलेक्टर और एसपी ऑफिस तक जलमग्न हो गए हैं। वहीं, ओडिशा को जोड़ने वाले सिहावा-बोराई मार्ग पर तीन फीट तक पानी भर गया है। पानी की रफ्तार इतनी ज्यादा तेज है कि लोग पार करने से डर रहे हैं। दोनों ओर से वाहन खड़े हुए हैं। 

धमतरी में ओडिशा को जोड़ने वाले सिहावा-बोराई मार्ग पर तीन फीट तक पानी भर गया है।

गरियाबंद : राजिम में कुलेश्वर महादेव का चबूतरा 15 फीट डूबा
राजिम इलाके में भी जमकर बारिश हुई है। यहां त्रिवेणी संगम का जलस्तर बढ़ गया है। इसके कारण कुलेश्वर महादेव मंदिर के पास जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। मंदिर का 26 फीट का चबूतरा सोमवार शाम तक 10 फीट डूबा था। लेकिन, रातभर में जलस्तर में 5 फीट और बढ़ोतरी हो गई है। वहीं, महासमुंद में 20 घंटे से ज्यादा समय से बारिश हो रही है। जिले के 60 गांवों में बाढ़ की स्थिति देखते हुए अलर्ट मोड पर रखा गया है।

राजिम इलाके में भी जमकर बारिश हुई है। यहां त्रिवेणी संगम का जलस्तर बढ़ गया है। इसके कारण कुलेश्वर महादेव मंदिर के पास जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। अब तक 15 फीट चबूतरा डूब चुका है।

दंतेवाड़ा : नदिया उफान पर, अब बाढ़ की आशंका
नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में लॉकडाउन के कारण पानी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ। वहीं, प्री-मानसून बारिश भी जमकर हुई। अब लगातार हो रही बारिश से जिले के 30-35 तालाब भरे हुए हैं। भूजल स्तर भी ठीक है। ऐसे में बारिश अब खतरा बनती दिखाई दे रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी जुलाई का महीना पूरा बाकी है। अगर ऐसे ही बारिश होती रही तो इंद्रावती और डंकनी-शंकनी नदी में बाढ़ की आशंका है। 

बस्तर में बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। किसानों के डाले बीज बारिश में सड़ रहे हैं। खेत पानी से लबालब भर चुके हैं। इसके कारण किसान खेत में ही नहीं जा पा रहे। 

मैदानी इलाकों में किसानों के चेहरे खिले, बस्तर में चिंता की लकीरें
मानसून की जोरदार बारिश प्रदेश के किसानों के चेहरे पर दो अलग-अलग रंग दिखा रही है। एक ओर जहां मैदानी इलाकों में किसानों के चेहरे खिला गए हैं। वहीं, बस्तर में उनके माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। मैदानी इलाकों में किसानों के अब बीज बोने और फसल लगाने का समय है। बस्तर में किसानों के डाले बीज बारिश में सड़ रहे हैं। खेत पानी से लबालब भर चुके हैं। इसके कारण किसान खेत में ही नहीं जा पा रहे।