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इस साल 68,400 करोड़ की इंडस्ट्री होने का अनुमान था हमारा देश 5वें नंबर पर, हर साल 5 लाख विदेशी इलाज के लिए यहां आते हैं

कोरोनावायरस की मार झेलने वाले सेक्टर्स में से एक है- मेडिकल टूरिज्म। कोरोनावायरस के आने से पहले इस साल देश में मेडिकल टूरिज्म का बाजार 9 अरब डॉलर यानी 68 हजार 400 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान था। जबकि, 2015 में यही मार्केट 3 अरब डॉलर (आज के हिसाब से 22 हजार 800 करोड़ रुपए) का था। लेकिन, कोरोना ने इस पर ग्रहण लगा दिया।

ये आंकड़े 2016 में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानी फिक्की और आईएमएस हेल्थ इंडिया की एक स्टडी में दिए गए थे। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के मेडिकल टूरिज्म मार्कट में भारत का शेयर 18% था, जो 2020 तक बढ़कर 20% तक पहुंचने की उम्मीद थी। इतना ही नहीं मेडिकल टूरिज्म के मामले में 41 देशों की लिस्ट में हम 5वें नंबर पर हैं।

भारत में हर साल कितने लोग आते हैं इलाज के लिए?
अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 1 करोड़ से ज्यादा लोग इलाज के लिए या किसी न किसी तरह के मेडिकल सपोर्ट के लिए दूसरे देश जाते हैं। हमारे यहां भी हर साल विदेशों से इलाज के लिए भारत आने वाले मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है। 

पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में हमारे देश में 1.39 लाख से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आए थे। इनकी संख्या 2018 में 6.40 लाख पर पहुंच गई। यानी 2014 की तुलना में 2018 में इलाज के लिए विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या 350% से ज्यादा बढ़ गई। 

मेडिकल टूरिज्म से भारत को कितनी कमाई होती है?
इसी साल फरवरी में जब लोकसभा में इलाज के लिए भारत आने वाले विदेशियों से होने वाली कमाई का ब्यौरा मांगा गया, तो सरकार की तरफ से जवाब में आया कि केंद्र सरकार इसका डेटा नहीं रखती है। हालांकि, 2014 की तुलना में 2019 में विदेशी पर्यटकों से होने वाली कमाई में 70% से ज्यादा का इजाफा हुआ है। 

भले ही सरकार के पास मेडिकल टूरिज्म से होने वाली कमाई का कोई ब्यौरा न हो, लेकिन सरकारी पॉलिसी थिंक टैंक नीति आयोग के मुताबिक, देश को विदेशी पर्यटकों से होने वाली कमाई का एक बड़ा हिस्सा मेडिकल टूरिज्म से ही आता है।