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केंद्रीय खेल मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाते हुए देशभर में सक्रिय 54 से ज्यादा खेल महासंघों की मान्यता रद्द कर दी नहीं मिल पाएंगी नौकरियां

खेल मंत्रालय के उप सचिव एसपीएस तोमर ने इस संबंध में सभी राज्यों के खेल मंत्रियों, साई के महानिदेशक समेत सभी महासंघों को पत्र भेजकर वार्षिक मान्यता रद्द करने की सूचना भी दे दी है। यानी सिंतबर तक प्रदेश ही नहीं देश में कोई भी संघ टूर्नामेंट नहीं करा पाएगा। राज्य के खेल मंत्री उमेश पटेल ने भी इसकी पुष्टि की है। 
खेल मंत्रालय ने यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर किया गया है। कोर्ट ने बुधवार को मंत्रालय को आदेश दिया कि 2 जून को 54 खेल संघों को साल 2020 के लिए दी गई अस्थायी मान्यता को वापस ले। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मंत्रालय सभी 54 राष्ट्रीय खेल महासंघों को सूचित करे कि 30 सितंबर 2020 तक अस्थाई मान्यता बढ़ाने का आदेश वापस लिया जा रहा है।
खिलाड़ियों को मिलने वाली स्पोर्ट्स कोटे की नौकरी पर मार
खेल विभाग के अफसरों और खिलाड़ियों के मुताबिक यदि मान्यता को लेकर जल्द फैसला नहीं हुआ, तो खेल नहीं शुरु हो पाएंगे और खिलाड़ियों को उत्कृष्टता के प्रमाणपत्र भी नहीं दिए जा सकेंगे। इन्हीं प्रमाणपत्रों के आधार पर खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरियां मिलती हैं। वैसे छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सूची बनानी शुरू नहीं हुई है। जबकि हर साल 27 अगस्त को खिलाड़ियों को यह प्रमाण पत्र दिए जाते हैं।

कोरोना वायरस फैलने से पहले ही स्टेडियम खाली 
कोरोना वायरस के फैलने की वजह से मार्च के बाद से ही भारत में खेलों के आयोजन नहीं हो रहे हैं। इसका असर देश से ब्लाक स्तर तक की खेल गतिविधियों और खिलाड़ियों पर पड़ा है। अब जब सरकारों ने स्टेडियम खोलने की अनुमति दे दी है, तो उम्मीद की जा रही थी कि खिलाड़ी फिर से मैदान में होंगे। लेकिन अब मान्यता ही खत्म कर दिए जाने से इस पूरे साल मैदान खिलाड़ियों का इंतजार करते रह जाएंगे।
प्रदेश में खेल संघ अस्तित्वहीन
छत्तीसगढ़ में अधिकांश इन राष्ट्रीय संघों की प्रदेश इकाइयों के रुप में काम कर रहे हैं। राज्य की नई सरकार ने खेल संघों को दिए गए अनुदान के कथित बंदरबांट को रोकने के लिए नई योजना लागू कर दी है। पिछले 15 साल में खेल संघ काफी सक्रिय थे। उनमें मंत्रियों, विधायकों और आला अफसरों को अध्यक्ष बनाया गया था। इस आधार पर खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ा अनुदान भी दिया जा रहा था। अकेले साल 18-19 में 110 लाख रुपए दिए गए थे। कई निजी क्लबों ने सरकारी पैसे से अपने खेल परिसरों और उपकरणों को मजबूत कर लिया है। यह सभी सूचनाएं मिलने के बाद सरकार ने खेल संघों पर रोक लगा रखी है। हालांकि प्रदेश में इस आदेश का असर नहीं होगा क्योंकि यहां खेल प्राधिकरण का गठन करने के बाद से ही खेल संघों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है।

खेलों को बढ़ावा देने काम कर रहा प्राधिकरण
“छत्तीसगढ़ में सरकार ने खेल प्राधिकरण बना दिया है, इसलिए खेल संघ अस्तित्वविहीन हैं। प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्राधिकरण अपना काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्रालय के आदेश का छत्तीसगढ़ में कोई असर नहीं होगा।”

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