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आत्मनिर्भर भारत: चटनी, अचार, पापड़, बरी बनाने वालों को मिलेगी 10 लाख रुपये की मदद

खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निमार्ण के लिए मोदी सरकार दो लाख सूक्ष्म इकाइयों को वित्तीय सहायता देगी ताकि वे अपना कारोबार बढ़ा सकें और बड़े ब्रांड के रूप में खुद को स्थापित कर सकें। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज एक ऑनलाइन कार्यक्रम में 10000 करोड़ रुपये की ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण योजना’ की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि देश में 25 लाख से अधिक सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां हैं। इनमें 8० फीसद तो पारिवारिक उद्यम के रूप में चल रही हैं, जिनमें परिवार के सदस्य मिलकर चटनी, अचार, पापड़, बरी जैसी चीजें बनाकर बेचते हैं। योजना के तहत इन इकाइयों को वित्त उपलब्ध कराकर उन्हें ‘लोकल ब्रांड के साथ ग्लोबल’ बनाने में  मदद की जाएगी। 

परियोजना लागत के 35 फीसद तक की मदद 

कौर ने बताया कि हर इकाई को उनकी परियोजना लागत के 35 फीसद तक की मदद उपलब्ध कराई जाएगी। अधिकतम 10 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। इसमें 60 फीसद राशि केंद्र सरकार और 40 फीसद राशि राज्य सरकार देगी। पर्वतीय तथा पूवोर्त्तर के राज्यों के लिए 9० फीसद राशि केंद्र सरकार देगी। स्वयं सहायता समूहों को अधिकतम 4० हजार रुपये प्रति सदस्य के हिसाब से मदद उपलब्ध कराई जाएगी। उन्हें उत्पादों के मूल्यवर्द्धन, पैकेजिंग बेहतर बनाने, लाइसेंस हासिल करने, मशीन लगाने, बैंक ऋण लेने और उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने में भी मदद की जाएगी। 

‘एक जिला, एक उत्पाद’ की नीति

मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ‘एक जिला, एक उत्पाद’ की नीति पर योजना को आगे बढ़ाना चाहेगी, हालाँकि राज्य चाहें तो एक ही उत्पाद पर एक से अधिक जिलों में भी फोकस कर सकते हैं। जिले के महत्त्वपूर्ण उत्पाद की पहचान कर लेने के बाद उस जिले में उस उत्पाद का क्लस्टर तैयार किया जाएगा। बादल ने बताया कि इस योजना से सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 35 हजार करोड़ रुपये के निवेश का रास्ता तैयार होगा और नौ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। यह योजना किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।

खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि योजना के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति, महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और आकांक्षी जिलों पर फोकस किया जाएगा। इससे किसानों और लघु उद्यमों को सीधा फायदा होगा। बादल ने इसके अलावा फलों एवं सब्जियों के भंडारण तथा परिवहन और खाद्य प्रसंस्करण में कौशल विकास से संबंधित दो अलग-अलग योजनाओं की भी शुरुआत की। ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत पहले सिर्फ आलू प्याज टमाटर के भंडारण एवं रखरखाव के लिए सरकार वित्तीय मदद देती थी। 

जल्द खराब होने वाले फलों एवं सब्जियों के भंडारण पर 50 फीसद सब्सिडी

आज से योजना का विस्तार करते हुये सभी प्रकार के जल्द खराब होने वाले फलों एवं सब्जियों को इसमें शामिल किया गया है। अभी यह योजना छह महीने के लिए पायलट आधार पर होगी। इन उत्पादों के भंडारण एवं परिवहन में केंद्र सरकार किसानों को 50 फीसद सब्सिडी देगी। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराने के लिए एक ऑनलाइन कौशल विकास योजना की शुरुआती की गई।

इसके तहत इच्छुक युवाओं को तीन महीने का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा। कुल 41 तरह के पाठ्यक्रम तैयार किये गये हैं। इनमें अचार, घी, मक्खन आदि बनाने, बेकिंग और ऐसे ही अन्य प्रशिक्षण दिये जायेंगे। डेयरी उद्योग या दूसरे खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में काम करने के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति के युवाओं को प्रशिक्षत किया जाएगा। अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संघ के अध्यक्ष डॉ. सुबोध जिंदल ने कहा कि मूल्यवर्द्धन करके अपने खाद्य उत्पादों को बेहतर बनाने का यह बहुत अच्छा समय है। दुनिया में पौष्टिक उत्पादों की माँग बढ़ रही है।