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(भोपाल) मास्टर प्लान के अंतिम दिन रिकार्ड तीन हजार से ज्यादा आपत्तियां दर्ज

  • 01-Jul-2023

भोपाल,01 जुलाई । भोपाल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब शहर के विकास को लेकर जागरुक नागरिेां ने तीन हजार से ज्यादा आपत्तियां दर्ज कराई हों। यह आपत्ति भोपाल मास्टर प्लान 2031 के संशोधित प्रावधानों के बाद दर्ज कराई गई हैं। जबकि 2020 में प्रकाशन के दौरान महज 1700 आपत्ति दर्ज कराई गई थी। ऐसी आपत्तियों की पड़ताल जो अन्य आपत्तियों से अलग हैं। साथ ही प्रमाणों के साथ मास्टर प्लान में प्रावधानों में संशोधन के लिए दर्ज कराई गई है। प्रस्तावित मास्टर प्लान में सामान्य आवासीय-चार (आरजी-फोर) को लेकर कई आपत्तियां दर्ज कराई गई। इस जोन में शहरी सीमा क्षेत्र से लगे हिनोतिया, बिलखिरिया, मिसरेाद समेत अन्य क्षेत्रों को रखा गया है। साथ ही अतिरिक्त निर्माण के लिए प्रीमियम एफएआर खरीदी पर जोन दिया गया है। संशोधन के बाद बेस एफएएआर को 0.25 किया गया और प्रीमियम एफएआर को 2.25 किया गया है। आपत्तियों में बताया गया कि इससे लोग को निर्माण के लिए बेहत कम अनुमति मिलेगी और एफएआर खरीदना होगा। मामले पर अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी ने दस्तावेज के साथ आपत्ति दर्ज कराई। इसमें बताया गया कि मौजूदा मास्टर प्लान में शहर के अंदर आठ हजार हेक्टेयर आवासीय भूमिक का उपयोग ही नहीं हुआ। लिहाजा शहर के बाहरी क्षेत्र की अपेक्षा अंदर शहरी विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है। आरजी-चार में किए गए प्रावधान से बाहरी क्षेत्र में विस्तार नियंत्रित होगा। यह निवेश शहर के अंदर होगा। कचरा प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के प्रावधानों का उल्लेख मास्टर प्लान में नहीं किया गया। आपत्तिकर्ता नितिन सक्सेना ने बताया कि अर्बन प्लानिंग में कचरा प्रबंधन को लेकर नियम है। इसके तहत दो सौ मकान या पांच हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के स्थान को दिखाना अनिवार्य किया गया है। जो मास्टर प्लान में नहीं दिया गया है। एक आपत्ति में बताया गया है कि छोटे तालाब स्थित रानी कमलापति महल आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के तहत आता है। लिहाजा यहां 300 मीटर अनुमति लेने के बाद और 100 मीटर तक निर्माण संभव नहीं है। मास्टर प्लान में इस दायरे में आने वाले क्षेत्रों में भी निर्माण की प्लानिंग की गई है। जो एसीआई के प्रावधानों के विपरीत है। आपत्तिकर्ता प्रभातोष जेटली ने बताया कि एयरपोर्ट से लगे चिन्हित एरिया में निर्माण के लिए एयरपेार्ट अथॉरिटी की भी अनुमति लेनी होती है। इसके लिए मास्टर प्लान में कलर कोडिंग जोनल मैप दर्शाना अनिवार्य है। जो प्रस्तावित मास्टर प्लान में नहीं दिखाया गया है। जबकि एयरपोर्ट के पास के क्षेत्रों में शहरी विकास और हाइराइज निर्माण तेजी से हो रहा है। समाजसेवी अरुणेश्वर सिंह देव ने आपत्ति में बाघ और जंगल के संरक्षण पर जोर दिया है। दर्ज आपत्ति में बताया कि आरजी-एक में बेस एफएआर 1.25 के अलावा टीडीआर और प्रीमियम एफएआर 1.25 का प्रावधान किया गया है। इसके इन क्षेत्रों में आबादी विस्तार को बढ़ावा मिलेगा। लिहाजा पार्किंग, हरियाली, वाटर हार्वेस्टिंग, संबंधित मापदंड निर्धारित किए जाने चाहिए। इसके अलावा उन्होंने ऐसे प्रावधानों के प्लान की बात कही जिसमें बाधों के साथ जंगलों का संरक्षण किया जा सके।