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(भोपाल) जलभराव से सड़कों की बुनियाद हो रही कमजोर

  • 01-Jul-2023

भोपाल,01 जुलाई । राजधानी में हर वर्ष मानसून पूर्व करोड़ों रुपये खर्च कर विभिन्न एजेंसियों द्वारा सड़कों का निर्माण और मरम्मत का कार्य किया जाता है, लेकिन ये सड़कें दो महीने भी नहीं चल पाती हैं और पहली वर्षा में ही उखडऩे लगी हैं। इसका कारण शहर की 90 प्रतिशत सड़कों में मजबूत ड्रेनेज सिस्टम का नहीं होना है जिससे सड़कों में जलभराव होता है। लंबे समय तक पानी की निकासी नहीं होने से सड़क की बुनियाद कमजोर होने लगती है। इन पर भारी वाहनों का दबाव पड़ते ही सड़कों के क्षतिग्रस्त होने का दूसरा कारण गड्ढों का पेंचवर्क नहीं करना है जिससे गड्ढों में पानी भरा पानी सड़क की निचली परत तक जाता है। मैनिट के सिविल विभाग में प्रोफेसर सिद्धार्थ रोकड़े बताते हैं कि शह की अधिकांश सड़कों के किनारे जल निकासी के लिए डे्रेनेज सिस्टम नहीं है। जहां बनाए भी गए हैं, यहां पर तो अतिक्रमण हो गया है या नालियां चोक हैं। इससे वर्षा का पानी सड़कों पर जमा होता है। शहर की सड़कों का निर्माण मानकों के आधार पर नहीं किया जाता है। निर्माण एजेंसियों के पास वर्षा के पूर्व सड़कों की मरम्मत करने की कोई योजना नहीं है। यदि एक छोटा गड्ढा होता है और उसका पेंचवर्क नहीं किया जाता तो वह बड़े गड्ढे में बदलता है। निगम इंजीनियरों के पास प्रशिक्षण की कमी : नगर निगम इंजीनियर की नियुक्ति डिग्री के आधार पर की जाती है। तो विशेष प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता है। ऐसे में सड़क बनाने के लिए इंजीनियर की निर्भरता ठेकेदार पर होती है। गाइड लाइन के तहत नहीं बनीं सड़कें : तेज और अधिक वर्षा की वजह से सड़कें उखड़ती हैं, लोगों के बीच ऐसी धारणा गलत है। यदि सड़कें गाइड लाइन के तहत बनाई जाती हैं, तो उनके खराब होने की संभावना कम होती है। सड़कों के निर्माण के समय डे्रेनेज सिस्टम, क्वालिटी कंट्रोल और गाइड लाइन का पालन नहीं किया जाए तो इन सड़कों की उम्र भी नेशनल हाइवे की तरह हो सकती हैं। वर्षा के दौरान मरम्मत करने के लिए कोल्ड मिक्स तकनीकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिससे डामर इन गड्ढों में अच्छी तरह से चिपक जाए।