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भारत को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम शुरू हुई उद्योग चेंबर कर रहा मदद, बंपर मिलेंगे ऑर्डर

चीन से विवाद शुरू होने के बाद विदेशी कंपनियां भी चपेट में आ गईं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम शुरू हुई। इसके लिए दुर्ग-भिलाई के औद्योगिक क्षेत्रों में नई रोशनी दिखने लगी है। विदेशी कंपनियां अब तक यहां से ऑर्डर ले जा रही थीं। अब स्थानीय कारखानों को यही ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। कारोबारी दरवाजा खुलते ही स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए खामियों को दूर करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।

दुर्ग-भिलाई में 400 से ज्यादा कारखाने स्टील और उससे जुड़े हैं। कारखाना संचालकों को तकनीकी रूप से कुशल बनाने और सरकारी योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत उठाने उद्योग चेंबर ऑफ भिलाई ने बड़ी मुहिम छेड़ दी है। स्थानीय कारखानों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम कराने जा रहा है, जिससे उद्यमियों को मार्केट को समझने, रिसर्च को जानने और सरकारी मदद लेने का मौका मिल जाएगा। इसके लिए बकायदा सर्टिफिकेट तक दिया जाएगा, जिससे उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए परेशानी नहीं होगी। कारोबारी नजर तमाम अड़चनों को भी दूर किया जा सकेगा।

फिलहाल, उद्यमियों की नजर भिलाई इस्पात संयंत्र पर टिक गई है। बीएसपी ने ग्लोबल टेंडर पर रोक लगा दी है। इस वजह से सालाना 155 करोड़ भारतीय मुद्रा विदेशों में नहीं जाने से रुक जाएगी। इसी राशि पर उद्यमियों की नजर टिकी हुई है। कारखाना संचालकों और उद्योग चेंबर का कहना है कि स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बीएसपी सहित अन्य कंपनियों से ऑर्डर लेने की दिशा में काम किया जा रहा है।

ऑर्डर मिलते ही छोटी इंडस्ट्री को आर्थिक रूप से फायदा होगा और बीएसपी सहित अन्य कंपनियों को समय से पहले सामान मिल सकेगा। भिलाई इस्पात संयंत्र कच्चा माल और मैकेनिकल मटेरियल चीन, जर्मनी, आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, कनाडा आदि देशों से खरीदता है। आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत भिलाई इस्पात संयंत्र ने विदेशी कंपनियों को रोकने के लिए ग्लोबल टेंडर पर ही रोक लगा दिया है। इससे देश की कंपनियों को ही रोजगार मिल सकेगा।