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3 लाख में से ज्यादातर बच्चे तुरंत ऑफलाइन, 1 लाख स्टूडेंट्स ने क्लास ही अटेंड नहीं की,

कोरोना के कारण प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक की ऑनलाइन क्लास को 50 दिन पूरे हो गए। इस मामले में सिर्फ रायपुर जिले का हाल ये है कि यहां 3 लाख पंजीकृत बच्चों में से 1 लाख ने अब तक एक भी क्लास अटेंड नहीं की है। जो बच्चे क्लास अटेंड कर रहे हैं, शिक्षकों के मुताबिक उनमें से ज्यादातर कुछ देर बाद ऑफलाइन हो जाते हैं। एक क्लास में शामिल होने के बाद अधिकांश बच्चे उस पूरे हफ्ते ऑनलाइन नहीं हो रहे हैं। दूसरी बड़ी दिक्कत टीचर्स की है। कोविड केयर में ड्यूटी की वजह से 25 फीसदी शिक्षक को निर्धारित शेड्यूल में क्लास ही नहीं ले पा रहे हैं।
राज्य में तीन तरीके से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन हो रहा है। इसमें एक राज्य स्तरीय कक्षाएं हैं, जिसमें जिलों के चुनिंदा टीचर रोस्टर के मुताबिक क्लासेस ले रहे हैं। जबकि दूसरी तरह की कक्षाएं जिला स्तर की हैं, जिनमें चुनिंदा टीचर हिस्सा ले रहे हैं। तीसरा, स्कूलों के स्तर पर ऑनलाइन क्लास हो रही है। रायपुर जिले के आंकड़ों पर ही गौर करें तो पता चलता है कि पहली से बारहवीं तक 3 लाख से ज्यादा पंजीकृत विद्यार्थियों में एक लाख ऐसे हैं जिन्होंने बीते पचास दिन में एक भी क्लास अटेंड नहीं की है।

धीरे-धीरे बढ़ रही भागीदारी
जिला स्तर पर संचालित की जा रही कक्षाओं के बारे में रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) जीआर चंद्राकर के मुताबिक जिले में 98 प्रतिशत टीचर और छात्र ऑनलाइन क्लासेस के लिए रजिस्टर्ड हैं। जिले में पहली से बारहवीं तक के 3 लाख छात्रों में एक लाख ने अब तक एक भी क्लास अटेंड नहीं की। हालांकि धीरे-धीरे भागीदारी बढ़ रही है। बहुत से स्कूलों में ऑनलाइन यूनिट टेस्ट भी शुरू हुए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी का भी मानना है कि जो छात्र रेगुलर हैं, उनमें से अधिकांश कुछ देर के लिए ऑनलाइन होकर हाजिरी लगवाते हैं, फिर ऑफलाइन हो जाते हैं।

221 राज्यस्तरीय ऑनलाइन क्लास में छात्रों की हाजिरी करीब 3 हजार
राज्यस्तरीय ऑनलाइन कक्षाओं के लिए पूरे प्रदेश से 21 लाख 16 हजार से ज्यादा छात्र और 2 लाख से ज्यादा टीचरों ने खुद को पंजीकृत करवाया था। 50 दिन में करीब 221 कक्षाओं में 1 लाख 15 हजार से ज्यादा छात्र इस दौरान ऑनलाइन जुड़े। नवमी से बारहवीं तक रोजाना विद्यार्थियों का औसत करीब तीन हजार रहा है। हर दिन चार क्लास हो रही है। इसका शेड्यूल एक हफ्ते पहले जारी हो जाता है। हर क्लास में करीब साढ़े छह सौ बच्चे पढ़ रहे हैं। पड़ताल में पता चला है कि ज्यादातर बच्चे भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत से जुड़ी कक्षाओं में ज्यादा रूचि ले रहे हैं। राज्य स्तर पर केवल नवमी से बारहवीं तक की क्लास ही हो रही है। इसमें दसवीं बारहवीं के छात्रों का औसत सबसे ज्यादा है। दसवीं में हिंदी और गणित की क्लास में बच्चों ने ज्यादा रुचि दिखाई है।
राशन लेने स्कूल पहुंचे छात्रों से ऑनलाइन क्लास की पूछताछ
राजधानी के एक स्कूल में छठवीं से आठवीं तक छात्रों की दर्ज संख्या 84 है। स्कूल के टीचरों द्वारा रोजाना सुबह साढ़े दस बजे से शाम चार बजे के बीच सब्जेक्ट वाइस कक्षाएं ली जाती है। छात्रों को मोबाइल पर टाइम टेबल भी दिया गया है। ऐसे छात्र जिनके पास मोबाइल नहीं है उनको कहा गया है कि वो आसपास के मोबाइल वाले छात्रों के साथ कक्षाएं अटेंड करें। यहां छात्र स्कूलों के जरिए वितरित की जा रही मध्याह्न भोजन की सामग्री को जब लेने आते हैं, तब टीचर उन्हें ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए भी कहती हैं। यहां पढ़ाने वाली शिक्षिका के मुताबिक टीचर ऑनलाइन होते हैं, लेकिन 84 की दर्ज संख्या में पूरे दिन में कई बार एक छात्र भी ऑनलाइन नहीं रहता है। कई बार टीचर घरों तक जा रहे हैं, फिर भी बच्चे ऑनलाइन नहीं हो रहे हैं।

हजारों के पास फोन नहीं, कई ऐसे जिनके पापा-मम्मी फोन नहीं छोड़ते
शहर में बस्तियों में रहने वाले परिवारों के बहुत से बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। इसलिए रायपुर जिले में करीब एक लाख बच्चे 50 दिन में भी ऑनलाइन नहीं हो पाए हैं। मध्यवर्गीय परिवारों के बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिनके माता पिता के पास स्मार्ट फोन तो हैं तो लेकिन वो कामकाज के लिए जब घर से बाहर जाते हैं, तब बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है। 
ज्यादातर स्कूलों में कक्षाओं की टाइमिंग स्कूल के टाइम के मुताबिक ही रखी गई है। त्रिमूर्ति नगर के प्रिंसिपल दिलीप झा कहते हैं कि उन्हीं के स्कूल में दर्ज 412 छात्रों में से 80 फीसदी ऑनलाइन कक्षाओं के लिए पंजीयन करवा चुके, लेकिन अधिकतम 30 प्रतिशत ही नियमित हैं।