Ranchi: डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में सोमवार को हिंदी विभाग की तरफसे मुंशी प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने प्रेमचंद को आज के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक बताते हुए उनकी कृतियों को समाज के सबसे निम्न वर्ग, दलित, महिलाओं और किसानों का प्रतीक बताया. आगे उन्होंने कहा कि उनकी प्रमुख रचनाओं गोदान, गबन, निर्मला इत्यादि में हमेशा से कहानी का मुख्य पात्र निम्न या मध्यम वर्ग का रहा. उन्होंने विद्यार्थियों को अपने संबोधन में उनके व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए बताया कि प्रारंभ में प्रेमचंद ने नवाब राय के नाम से लेखन की शुरुआत की और हिंदी तथा उर्दू में अपनी रचनाएं लिखी. उनकी कहानी में गांव का एक चरित्र हमेशा मौजूद होता था. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की प्रतिभा को देख कर बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि से विभूषित किया. प्रेमचंद की कहानी और उपन्यासों ने आनेवाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई. विशिष्ट अतिथि के तौर मानविकी संकाय के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद अयूब ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं का अध्ययन प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए, चाहे वो किसी भी संकाय का हो, क्योंकि उनकी रचनाओं में मानवता का संदेश निहित है. विषय प्रवेश करते हुए हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ जिंदर सिंह मुंडा ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने प्रेमचंद को अदभुत प्रतिभा से युक्त बताया. इस अवसर पर डॉ मृत्युंजय कोयरी, डॉ जितेंद्र सिंह सहित हिंदी और उर्दू विभाग के विद्यार्थियों ने भी प्रेमचंद से संबंधित अपने विचार रखा. इसके पूर्व प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें स्मरण किया गया. मौके पर डॉ विनोद कुमार, डॉ रामदास उरांव, डॉ पीपी महतो सहित अन्य विद्यार्थी मौजूद थे.
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