वाहनों पर फास्टैग नहीं लगाने को लेकर अब कोई बहाना नहीं चलेगा। सरकार FASTag से जुड़ी नई व्यवस्था पर काम कर रही है, जिसमें किसी भी वाहन के पंजीकरण या उसके फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होने से पहले उस वाहन की FASTag जानकारी दर्ज की जाएगी। रविवार को इस बारे में जानकारी दी गई। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का साफ कहना है कि इसके बाद अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों में FASTag नहीं लगा होने का कोई बहाना नहीं चलेगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन पोर्टल और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी) के एकीकरण का काम पूरा कर लिया है।
साथ ही इस बारे में एनआईसी तथा सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को सूचना दे दी गई है। अब वाहन सिस्टम को FASTag के माध्यम से व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (वीआईएन) या व्हीकल रजिस्ट्रेशन नंबर (वीआरएन) की पूरी जानकारी मिल रही है।
मंत्रालय ने एनआईसी को लिखे एक पत्र में कहा है कि वाहन (वीएएचएएन) पोर्टल के साथ राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) को पूरी तरह जोड़ दिया गया है और यह 14 मई को एपीआई के साथ लाइव हुआ है। वाहन पोर्टल अब वीआईएन/ वीआरएन के माध्यम से फास्टैग पर सभी जानकारी हासिल कर रही है। इस पत्र की कॉपी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजी गई है।
एम और एन श्रेणी के वाहनों की बिक्री के समय नए वाहनों में फास्टैग लगाना 2017 में ही अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन बैंक खाते के साथ जोड़ने या उन्हें सक्रिय किए जाने से नागरिक बच रहे थे, जिसकी अब जांच की जाएगी।
अधिकांश मामलों में बैलेंस नहीं होने पर FASTag काम नहीं करता है। दरअसल, चालक एक टोल से दूसरे टोल गुजरता रहता है, लेकिन बैलेंस चेक नहीं करता है। जब बैलेंस निर्धारित सीमा से कम हो जात है तो राशि अपने आप नहीं कटती है।
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