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Lockdown में 42% बढ़ी अंबानी की नेट वर्थ, 9 साल बाद दुनिया के टॉप-10 अमीरों में शामिल हुए, 58 दिन में कंपनी को कर्ज मुक्त किया

तीन महीने के भीतर रिलायंस को 14वां निवेशक मिल गया है। अब गूगल, जियो प्लेटफॉर्म्स में 33,737 करोड़ रुपए का निवेश करके 7.73 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी। बुधवार को मुकेश अंबानी ने रिलायंस की 43वीं एजीएम में इसका ऐलान किया। एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना संकट के कारण कई कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ मुकेश अंबानी अपनी कंपनी के लिए लगातार नए निवेशक ला रहे हैं। इसके चलते उनकी कंपनी कर्ज मुक्त हो गई है। अंबानी नौ साल बाद दुनिया के दस अमीरों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं।

कोरोनाकाल में मुकेश अंबानी की नेट वर्थ किस तरह बढ़ी। जियो प्लेटफॉर्म्स में एक के बाद एक 14 निवेशक लाकर और आरआईएल के राइट्स इश्यू से रकम जुटाकर उन्होंने कंपनी को कैसे नेट डेप्ट फ्री किया? दुनिया के सबसे अमीर लोगों को एक के बाद कैसे पीछे छोड़ रहे हैं? देश के टॉप अरबपतियों की नेट वर्थ उनके मुकाबले कहां ठहरती है? इस रिपोर्ट में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे।

लॉकडाउन में भी 42% बढ़ी अंबानी की संपत्ति
22 मार्च को देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया। उस दिन मुकेश अंबानी की नेट वर्थ 2.84 लाख करोड़ रुपए थी। 24 मार्च को देश में लॉकडाउन लगा। हर तरह की आर्थिक गतिविधि ठप हो गई। लेकिन, अंबानी की नेट वर्थ बढ़ती गई। जून में हम लॉकडाउन से अनलॉक के पहले फेज में आए। अनलॉक शुरू होने से दो दिन पहले ही अंबानी की नेट वर्थ 4 लाख करोड़ पार कर गई। यानी लॉकडाउन के दौरान उनकी नेट वर्थ में कुल 42% का इजाफा हुआ।

ढाई महीने में नेट वर्थ दो गुनी
अप्रैल के शुरुआत में जब फोर्ब्स ने 2020 के अमीरों की लिस्ट जारी की उस वक्त मुकेश अंबानी की नेट वर्थ 277 हजार करोड़ थी। ढाई महीन में ये बढ़कर 551 हजार करोड़ रुपए हो गई। यानी, ढाई महीने में अंबानी की नेट वर्थ में 99% का इजाफा हुआ।

अंबानी ने 18 महीने कंपनी को कर्ज मुक्त करने का ऐलान किया, दस महीने में कर दिया
12 अगस्त 2019, रिलायंस की एजीएम में मुकेश अंबानी ने ऐलान किया कि उनकी कंपनी 31 मार्च 2021 तक खुद को कर्ज मुक्त (नेट डेप्ट फ्री) कर लेगी। 31 मार्च 2020 को रिलायंस के ऊपर 1,61,035 करोड़ रुपए का कर्ज था। 22 अप्रैल को कंपनी को पहला इन्वेस्टर फेसबुक इंक के रूप में मिला।

अगले 58 दिन में कंपनी ने 11 इन्वेस्टर्स को जियो प्लेटफॉर्म्स के 24.70% स्टेक बेचकर 1,15,693.95 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट जुटाया। इसी दौरान 20 मई से 3 जून के बीच आरआईएल के राइट्स इश्यू से 53,124.20 करोड़ रुपए की रकम जुटाई। इस तरह से कंपनी कुल 1,68,818.15 करोड़ जुटाकर 18 जून को नेट डेप्ट फ्री यानी कर्ज मुक्त हो गई।

18 जून के बाद कंपनी ने इंटेल कैपिटल को 0.39%, क्वालकॉम वेंचर्स को 0.15% और गूगल को 7.7% हिस्सेदारी बेची। इससे कंपनी ने 36,361.5 करोड़ रुपए का निवेश जुटाया। इस तरह तीन महीने के भीतर कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स की 32.97% हिस्सेदारी बेचकर कंपनी 15,20,055.45 करोड़ रुपए का निवेश ला चुकी है।  

लॉकडाउन के कारण अरामको से डील टली तो जियो प्लेफॉर्म्स के लिए नए इन्वेस्टर लाए
अगस्त में ही मुकेश अंबानी ने बताया कि उनकी कंपनी रिफाइनिंग एंड पेट्रोकेमिकल बिजनेस का 20% स्टेक सऊदी अरब की पेट्रोकेमिकल कंपनी अरामको को बेचेगी। उस वक्त डील की वैल्यू 15 बिलयन यूएस डॉलर यानी करीब 105 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी। इससे कंपनी का 60% कर्ज उतर जाता।

लेकिन, अगस्त 2019 से अप्रैल 2020 तक क्रूड आयल की कीमत 65% घटी। ऐसी कंडीशन में स्टेक बेचकर रिलयांस को उम्मीद के मुताबिक, निवेश नहीं मिलता। कोरोना के चलते अरामको डील टल रही थी तो रिलायंस ने जियो प्लेटफॉर्म्स के स्टेक बेचने शुरू किए और कर्ज मुक्त हो गई।

2016 में रिलायंस ने जियो के साथ टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा। लॉन्च के एक साल के अंदर ही कंपनी के पास 13 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर हो गए। इस सफलता के चलते 2017 में फोर्ब्स ने मुकेश अंबानी को गेम चेंजर्स की लिस्ट में शामिल किया। उस वक्त कंपनी कमाई के मामले में पूरी तरह पेट्रोकेमिकल और रिफाइनिंग के बिजनेस पर निर्भर थी।

2017 में कंपनी की 97.5% कमाई पेट्रोकेमिकल और रिफाइनिंग के बिजनेस से ही आई। अगले चार साल में कंपनी ने इस बिजनेस पर अपनी निर्भरता 38% कम कर ली। अब इसी जियो प्लेटफॉर्म्स से ही कंपनी कर्ज (नेट डेप्ट फ्री) भी हो गई।