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ट्रक ड्राइवर के बेटे का चंद्रयान-3 में अहम योगदान, परिवार के साथ बढ़ाया प्रदेश का मान

24 / 08 / 2023

रांची. 23 अगस्त देश के लिए काफी ऐतिहासिक दिन रहा. यह दिन इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो चुका है. क्योंकि इस दिन भारत ने चांद पर कदम रखा है. मिशन चंद्रयान 3 के सफल होने पर देश के हर शख्स का सीन गर्व से चौडा हो चुका है. लेकिन इस कठिन चुनौती को पूरी करने में इसरो और उनकी टीम का काफी अहम योगदान रहा. इसी टीम का हिस्सा झारखंड की राजधानी रांची से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित खूंटी के सोहन का भी रहा.सोहन का बचपन गरीबी में गुजरा. लेकिन सोहन ने कभी भी गरीबी को अपने सपनों के बीच में आने नहीं दिया. सोहन का बचपन से ही साइंटिस्ट बनने का सपना था. लेकिन पिता ट्रक ड्राइवर और मां ग्रहणी होते हुए उनके लिए यह सफर इतना आसान नहीं था. सोहन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खूंटी के लिए डीएवी स्कूल से की फिर कक्षा 6 से 10वीं तक नवोदय विद्यालय से पढ़ाई की. फिर आईआईटी निकाल एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग कर इसरो के साइंटिस्ट बने.

सोहन की पढ़ाई में खर्च हो जाते है तनख़्वाह

सोहन की मां देवकी देवी ने बताया सोहन बचपन से ही पढ़ाई में काफी मेधावी थे. क्लास में हमेशा अव्वल नंबर से पास होता था. बचपन से ही साइंटिस्ट बनने का सपना था. घर की माली हालत काफी खराब थी. क्योंकि मेरे पति ट्रक ड्राइवर है और उनके महीने की तनख्वाह 3000 रुपए होती थी. जिसमें से 2500 रुपए हम सोहन की पढ़ाई पर ही खर्च किया कर देते थे. घर की जरूरी चीजों पर भी हम कटौती किया करते थे. ताकि सोहन की पढ़ाई ना रुके, क्योंकि सोहन की मेहनत और लगन देखकर हमें इस पर पूरा विश्वास था कि आगे चलकर यह हमारा ही नहीं बल्कि देश का भी नाम रोशन करेगा. देवकी देवी आगे बताती है आज घर की आर्थिक स्थिति सोहन के साइंटिस्ट बनने के बाद काफी बेहतर हुई है. आज घर में जरूरत की हर चीज मौजूद है और समय के साथ स्थिति सोहन के बदौलत और अच्छी हो रही है. सोहन की भाभी ममता देवी बताती है जब शादी होकर मैं घर आई थी तब घर की हालत काफी खराब थी. लेकिन आज सोहन के बदौलत हम सभी एक अच्छा जीवन जी रहे हैं.

सोहन ने 21 की उम्र में इसरो में एंट्री

चार भाइयों बहनों में तीसरे नंबर पर सोहन की एंट्री इसरो में मजह 21 साल के उम्र में ही हो गई थी. मां देवकी बताती है सोहन ने आईआईटी की परीक्षा पास की और फिर इसरो में साइंटिस्ट बना. सोहन चंद्रयान-2 में भी अपना योगदान दे चुका है. हालांकि, यह मिशन फेल हो गया था. लेकिन इसकी मेहनत को देखते हुए इसे चंद्रयान-3 मिशन में शामिल किया गया. आगे बताया चंद्रयान-2 के लैंडिंग के समय भी मैंने व्रत रखा था. हालांकि, वह सफल नहीं हो पाया, लेकिन मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. इस बार चंद्रयान-3 के लैंडिंग तक मैंने व्रत रखा था. लैंडिंग के बाद ही कुछ खाया है. साथ ही इस पर मैं तीर्थ स्थल जाकर सोहन की कामयाबी के लिए प्रार्थना करूंगी.