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सीयूजे में गुंडा राजः हर माह 2.80 लाख रंगदारी टैक्स

– छात्रों से हाउसकीपिंग के नाम पर 33.60 लाख रुपये की अवैध वसूली

– सीबीआई और चीफ विजिलेंस कमिश्नर से की जा चुकी है शिकायत

Amit Singh

Ranchi: सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) के विद्यार्थियाें से हर माह हाउसकीपिंग के नाम पर लाखों रुपये की अवैध वसूली की जा रही है. कागजों पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हाउसकीपिंग पर हर साल लाखों रुपये का खर्च दिखाया जाता है. इसके बावजूद हॉस्टल में रहने वाले प्रत्येक विद्यार्थी से 400 रुपये हाउसकीपिंग के नाम पर लिए जा रहे हैं. यह अवैध वसूली मेस संचालित करने वाली आर.एस. बी. फूड्स कंपनी के गुर्गे करते हैं. सीयूजे में हर साल करीब 700 बच्चे हॉस्टल में इनरोल होते हैं. वर्तमान में यहां 300 विद्यार्थी हैं. अगले माह से नए सत्र शुरू होते ही, 400 नए छात्र भी हॉस्टल आ जाएंगे. ऐसे में एक छात्र से हर माह 400 के हिसाब से 2 लाख 80 हजार रुपये की वसूली हाउसकीपिंग के नाम पर हो रही है. बताया जाता है कि जो बच्चे इसका विरोध करते हैं, उनके साथ मारपीट की जाती है. धमका कर शांत करा दिया जाता है. सस्पेंड करा दिया जाता है. इतने पर भी बात नहीं बनी, तो हॉस्टल से भगा दिया जाता है. सीयूजे के कुलपति को गलत जानकारी देकर हर माह लाखों रुपये की बंदरबांट की जा रही है. विगत 26 अगस्त को रात करीब नौ बजे हुई मारपीट की घटना इसका ताजा उदाहरण है. इसमें तीन छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घायल छात्रों में सुम्या रंजन, हर्षवर्धन राज और साकेत कुमार शामिल हैं. उन्हें रिम्स ले जाना पड़ा. स्टूडेंट्स का कहना है कि जो भी गुंडा राज के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे हॉस्टल से निकलवा दिया जाता है. अभिभावकों को फोन करके झूठी शिकायतें करते हैं. मामले की निष्पक्ष जांच हो, तो पता चलेगा कि विवि का एक प्रभावी व्यक्ति और उसके गुर्गे घटना के पीछे हैं. स्टूडेंट्स उनसे डरे हुए हैं. शिकायत सीबीआई और चीफ विजिलेंस कमिश्नर तक पहुंच गई है.

पड़ताल का सच : खुलेआम अवैध वसूली करते हैं गुर्गे

सीयूजे के सैकड़ों स्टूडेंट्स से जुड़े गंभीर मामले की पूरी पड़ताल दैनिक शुभम संदेश की टीम ने की. इसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. जिस प्रभावी व्यक्ति की द्वारा वसूली कराने की बात कही जा रही है, वह एसोसिएट प्रोफेसर मयंक रंजन है. छात्र उनका नाम लेने से भी डरते हैं. कहते हैं कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हुई, तो विवि में गुंडा रैकेट और भ्रष्टाचार का खुलासा होगा. इसकी जद में विवि के कई जिम्मेवार भी आएंगे.

मेस का है मामला

ताजा मामला विश्वविद्यालय मेस को लेकर है. यूनिवर्सिटी के दोनो कैंपस ब्रांबे और मनातू में मेस हैं. इनका संचालन मयंक रंजन की साठगांठ से आर.एस.बी. फूड्स कंपनी पिछले एक साल से कर रही है. हर माह एक बच्चे से मेस चार्ज के नाम पर 3420 रुपये लिये जाते हैं. इसमें छात्रों से ही 2.5 प्रतिशत जीएसटी और एसजीएसटी के नाम पर 190 रुपये लिए जाते हैं. यानी कुल मिलाकर हर माह एक छात्र से 3600 रुपये वसूले जाते हैं. एक साल में मेस चार्ज के नाम पर एक छात्र से 43,200 रुपये वसूले जाते हैं. हॉस्टल के 700 छात्रों से एक साल में 3 करोड़ 02 लाख 40 हजार रुपये की वसूली होती है. यूनिवर्सिटी पुंदाग की एक निजी कंपनी आरआरबी के नाम पर स्टूडेंट्स को बिल देती है.

मयंक के करीबी को है मेस का जिम्मा

सीवीसी को भेजे गये दस्तावेज के अनुसार, आर.एस.बी. फूड्स कंपनी में सुरेश कुमार और ज्योति साही पार्टनर हैं. ज्योति एसोसिएट प्रोफेसर मयंक रंजन की बेहद करीबी हैं. तभी तो विवि के जिम्मेवारों ने मेस संचालन से संबंधित टेंडर (जीईएम/2023/बी/3280515) रद्द कर दिया था. पुंदाग की कंपनी आर.एस.बी. फूड्स को एक्सटेंशन दे दिया. बिना किसी टेंडर प्रकिया के ही यह कंपनी एक्सटेंशन की बदौलत हर माह लाखों रुपये की अवैध कमाई कर रही है.