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असम में बाढ़ से 40 लाख लोग प्रभावित, UN ने की मदद की पेशकश

असम के 33 में से 28 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. 50 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं, बाढ़ से करीब 40 लाख लोगों की जीवन प्रभावित हुआ है. NDRF की टीम मौके पर पहुंचकर लोगों की हर संभव मदद कर रही है.

देश के पूर्वोत्तर राज्य असम में बाढ़ की मार पड़ी है. राज्य पहले ही कोरोना वायरस की चुनौतियों से जूझ रहा था ऊपर से बाढ़ ने स्थानीय लोगों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है. बाढ़ से असम में 40 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. अब यूएन भी भारत की मदद को आगे आया है.

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, यूएन के सेक्रेटरी-जनरल स्टेफन दुजारिक ने कहा, ‘यूनाइटेड नेशंस जरूरत पड़ने पर भारत सरकार की मदद करने के लिए तैयार है.’ असम में 50 से ज्यादा लोगों की बाढ़ की चपेट में आने से मौत हो गई है. जबकि हजारों लाखों लोग बेघर हो चुके हैं या विस्थापित हो चुके हैं.

असम के लोगों के लिए मुसीबत बनी बाढ़-

असम के बरपेटा शहर से कुछ दूर आगे चौधरी बाजार गांव में तबाही की ऐसी तस्वीर दिखाई पड़ती है जिस पर खुली आंखों से भी यकीन करना मुश्किल है. आज तक संवाददाता आशुतोष मिश्रा चौधरी बाजार गांव में पहुंचे ताकि हालात का जायजा लिया जा सके. गांव के रहने वाले नबी उल अपनी छोटी सी नाव लेकर सड़क किनारे पहुंचे ताकि हमें वह अपना गांव दिखा सकें.

छोटी सी नाव पर हम बैठ तो गए लेकिन यह सफर बेहद डरावना होने वाला था. जल स्तर इतना ज्यादा था कि पानी की गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल था. ऊपर से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने मुसीबतें बढ़ा रखी थीं. गांव के नाम पर जो कुछ दिखाई पड़ता था वह बस डूबे हुए मकान और उनके निशान थे.

घर से बेघर हुए हजारों लोग-

ऐसा मंजर असम के रहने वाले लोगों के लिए यह हर साल 3 से 4 महीने की दैनिक दिनचर्या होती है. नबी उल इस्लाम के साथ हम उनके गांव पहुंच तो गए लेकिन सैलाब में डूबे गांव में अब कोई नहीं बचा है. नबी उल और उनका परिवार जिसमें बच्चे महिलाएं बूढ़े और मवेशी शामिल हैं. हर कोई गांव में घर से थोड़ी दूर एक तटबंध पर त्रिपाल की छत बनाकर रहने पर मजबूर हैं.

जरूरत का सामान चूल्हा चौका और मवेशी लेकर वह इस छोटे से टापू पर बस तो गए हैं लेकिन बारिश जिस तरह से हो रही है अगर वह जारी रही तो यह तक बंद भी पानी में डूब जाएगा और नबी का यह आशियाना भी नदी में मिल जाएगा. खाना बनाने के लिए चूल्हा जलाना पड़ेगा और चूल्हे के लिए लकड़ियां चाहिए लेकिन वह लकड़ियां मूसलाधार बारिश में गीली हो रही हैं.

असम के 33 में से 28 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. 50 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दरबदर होने वालों की कोई संख्या ही नहीं है. दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में कुछ इंच पानी जमा हो जाए तो बाढ़ के नाम पर हाहाकार मचता है लेकिन असम में जो तस्वीर है वह हर नजर से बच जाती है बावजूद इसके कि वहां हर साल कई लोग बाढ़ से जान गंवा देते हैं. पूर्वोत्तर राज्य में बाढ़ हर साल आती है और हर साल हजारों लाखों को बेघर करती है. इस बार असम में आपदा की दोहरी मार पड़ी है इसलिए मदद की दरकार भी ज्यादा है.