Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

अंबेडकर Hospital में 400, एम्स में 225 Corona मरीज, माना भी फुल इसलिए बेड बढ़ाने की तैयारी

राजधानी में स्वस्थ हुए मरीजों से ज्यादा संख्या एक्टिव मरीजों की हो गई है, यानी जो संक्रमित होकर हाल में अस्पतालों में भर्ती किए गए हैं। अभी अंबेडकर अस्पताल में 410 और एम्स में 220 मरीजों का भर्ती कर इलाज किया जा रहा है और दोनों ही अस्पताल तेजी से फुल होने लगे हैं। इसे देखते हुए करीब महीनेभर पहले बंद किया गया माना कोविड अस्पताल भी रविवार को चालू किया गया और मंगलवार शाम तक अस्पताल फुल हो गया। वहां 120 मरीजों का इलाज चल रहा है। बुधवार को अंबेडकर में भर्ती के लिए बेड नहीं रहेगा, इसलिए मरीजों को ईएसआई अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। लगातार मरीज बढ़ने से अब अंबेडकर अस्पताल को 700 बेड करने की तैयारी है, जबकि एम्स में 500 बेड पर काम शुरू कर दिया गया है। शासन ने निजी अस्पतालों से भी बातचीत शुरू की है, लेकिन बताया गया है कि ज्यादातर तैयार नहीं हो रहे हैं। शासन की सोच है कि अगर मरीज बढ़ें तो निजी अस्पताल विकल्प के तौर पर रहें। राजधानी में मार्च से अभी तक 37 हजार से ज्यादा सैंपलों की जांच की जा चुकी है। इनमें 1320 पॉजिटिव केस आए हैं। जबकि 10 लोगों की मौत भी हो चुकी है। रायपुर व प्रदेश का पहला केस 18 मार्च को आया था। तब से अब तक 126 दिन यानी तीन माह से ज्यादा हो गए हैं। 31 मई तक महज 15 मरीज थे। 1 जून से अब तक 1208 मरीज बढ़ गए हैं। राजधानी में कोरोना से स्वस्थ होने की दर 50 फीसदी है। दरअसल जितने मरीज मिल रहे हैं, उसकी तुलना में कम मरीज डिस्चार्ज हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों की लापरवाही भारी पड़ रही है। जून से अब तक जो नए मरीज आए हैं, वे मरीजों के संपर्क में आकर संक्रमित हुए हैं। ऐसे मरीजों की संख्या 60 से 70 फीसदी है। यानी यहां कम्यूनिटी स्प्रेड के बजाय मरीजों से ही बीमारी का विस्तार हो रहा है। पर्याप्त सावधानी नहीं बरतने के कारण ऐसा हो रहा है। इसके अलावा एम्स, डीकेएस सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल व अंबेडकर अस्पताल में अब तक 200 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें डॉक्टर से लेकर नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। तेजी से बढ़ रहे मरीजों पर सीनियर मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. अब्बास नकवी व चेस्ट एक्सपर्ट डॉ. आरके पंडा कहते हैं कि लॉकडाउन में छूट के बाद लोग बेपरवाह व लापरवाह हो गए हैं। धड़ल्ले से भीड़ में जा रहे हैं। न वे मॉस्क लगा रहे हैं और न फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति को वायरस तो मिलेगा ही। भीड़ में कौन कोरोना का वायरस लेकर घूमकर है, इसकी पहचान करना संभव नहीं है।

ज्यादातर मरीजों में लक्षण नहीं
रायपुर में आए 70 फीसदी से ज्यादा मरीजों में बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखता। सामान्य लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार व सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या नहीं रहती। इसके बावजूद लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। ऐसे लोगों में वायरस लोड कम होता है। हालांकि मार्च, अप्रैल व मई की तुलना में अब जितने भी मरीज आ रहे हैं, उनमें वायरल लोड बढ़ गया है। यही कारण है कि वे दूसरों को भी संक्रमित कर रहे हैं। जबकि विदेश से लौटे लोगों के अलावा कई मरीज के माता-पिता, परिजनों के अलावा संपर्क में आए लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव रही है।

मरीज बढ़ने के कारण

  • बाहर से आने वालों की जानकारी नहीं।
  • होम आइसोलेशन में नहीं रह रहे हैं।
  • पार्टियां और ग्रुप में मस्ती शुरू हो गई।

“ज्यादातर पॉजिटव केस लापरवाही के कारण आ रहे हैं। लोगों को लगता है कि वे स्वस्थ हैं, किसी के संपर्क में नहीं आए हैं। उन्हें यह भी लगता है कि उन्हें कोरोना नहीं हो सकता। बड़ों के कारण बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं, हालांकि इनकी संख्या कम है।