देश ने कोरोना काल में विस्थापित मजदूरों की बड़ी त्रासदी देखी है। लाखों मजदूरों ने घर लौटने के दौरान जो परेशानियों का सामना किया उसे शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं है। विस्थापन की इस समस्या के इसने बड़े स्तर पर सामने आने के बाद अब स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने पर विचार होने लगा है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश में विस्थापन संकट को लेकर नौकरशाहों और उद्योग जगत को स्थानीय स्किल का नक्शा तैयार कर एक तंत्र विकसित करने को कहा है जिससे मजदूर ‘वॉक टू वर्क’ कर सकें और अपने घरों के नजदीक रह सकें।
नीति आयोग ने बुधवार को बैठक का एक वीडियो लिंक शेयर किया है, जिसमें पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा ‘धीरे-धीरे हम लोगों को वॉक टू वर्क के आइडिया पर जाना होगा।’ इसके साथ उन्होंने कहा कि किसी भी मजूदर के लिए अपने घर को छोड़ना सबसे आखिरी प्राथमिकता होती है और सामान्य तौर पर वे लोग अपनी तहसील या जिले में ही काम करना पसंद करते हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा ‘क्या हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए स्किल्ड लोगों की जिलावार मैपिंग कर सकते हैं। अगर कोई उद्योग अपना विस्तार करना चाहता है तो उसे संबंधित जगह पर स्किल्ड मैनपॉवर मिल सकेगा।’ उन्होंने कहा यह कदम उद्योगों को भी बराबर फायदा पहुंचाएगा, जैसे ‘उद्योगों को कर्मचारियों के रहने और उनके आवागमन की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। लोग आएंगे काम करेंगे और वापस चले जाएंगे।’
पीएम मोदी का यह सुझाव उस वक्त आया है जब लाखों मजदूर शहरी क्षेत्रों से लौटकर अपने गांवों में पहुंच चुके हैं। विशेषज्ञ और अर्थशास्त्रियों का विश्वास है कि ग्रामीण इलाकों में विस्थापन की समस्या से निपटने के लिए अब गैर-कृषि रोजगार पर फोकस करने और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री का प्रमोशन करने की जरूरत है।
इस दौरान पीएम मोदी ने विभिन्न मंत्रालयों और नीति आयोग को कहा कि स्किल मैपिंग, अपस्किलिंग बढ़ाने के साथ उन्हें प्रमोट भी किया जाना चाहिए जिससे लोगों की कमाई में बढ़ोतरी हो सके।
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