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राजस्थान के राजनीतिक संकट की सुनवाई जारी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- असंतोष की आवाज नहीं दबाई जा सकती,

उच्चतम न्यायालय में राजस्थान संकट को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है। यह सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की याचिका पर हो रही है। जोशी की तरफ से अदालत में कपिल सिब्बल दलीलें दे रहे हैं। उऩका कहना है कि स्पीकर के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा हो।

  • उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी से विधायकों को निकाला गया है तो इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी विधायक पार्टी में ही हैं लेकिन बार-बार पार्टी बैठकों में नहीं आने के बाद व्हिप जारी की गई। उन्होंने इसका भी उल्लंघन किया। वकील ने हेमाराम चौधरी का नाम लेते हुए कहा कि विधायक पार्टी बैठक में नहीं आए और सीधा मीडिया में बयान देने लगे जोकि गलत है।
  • बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे अदालत में पक्ष रख रहे हैं।
  • बागी गुट ने सर्वोच्च न्यायालय से फैसला टालने की अपील की है। सचिन पायलय ने भी अदालत में कैविएट दाखिल की है।
  • सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट ने स्पीकर के नोटिस का जवाब नहीं दिया और सीधे अदालत का रुख कर लिया। वे स्पीकर के नोटिस को चुनौती नहीं दे सकते हैं। अदालत ने कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है।
  • सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों से 17 जुलाई तक जवाब देने के लिए कहा था लेकिन इससे पहले ही सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। ये पूरी तरह स्पीकर के अधिकारों का हनन हो है। कानून के अनुसार यदि स्पीकर विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला सुनाते हैं तब अदालत का रुख किया जा सकता है केवल नोटिस को लेकर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय जाने का क्या मतलब है।
  • शीर्ष अदालत ने कपिल सिब्बल से पूछा है कि स्पीकर ने विधायकों को जो नोटिस भेजा है वो कहां है। इसपर सिब्बल अब उस नोटिस को अदालत को पढ़कर सुना रहे हैं।

अदालत ने पूछा कि याचिका लंबित हैं और स्पीकर उसे अयोग्य ठहरा देता है तो क्या तब अदालत उसमें दखल नहीं दे सकता। इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि ऐसे मामले में अदालत दखल दे सकती है क्योंकि स्पीकर ने फैसला ले लिया है। फिलहाल स्पीकर ने सिर्फ विधायकों से जवाब मांगा है और इसके खिलाफ विधायकों को अदालत में याचिका दाखिल करने की जरूरत नहीं थी।

  • अगर स्पीकर कोई फैसला लेते हैं तो उसके बाद भी अदालत का दखल सीमित होगा।
  • सिब्बल ने कहा- स्पीकर के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। अदालत स्पीकर को आदेश नहीं दे सकता।
  • कपिल सिब्बल ने 1992 के किहोटो होलोहान केस और 10वें शिड्यूल मे दिए गए स्पीकर के आदेश का हवाला दिया।