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Editorial – 26 july 2020

कांग्रेस पार्टी में विरोध देशद्रोह कैसे?

रामद्रोह के बाद अब राजद्रोह

Editorial – 26 july 2020

> > जेएनयू स्कॉलर साजिद बिन सईद कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का अध्यक्ष हैं >>  सईद ने भारतीय सेना पर कश्मीरियों के नरसंहार का आरोप लगाया >>  सईद ने क्रस्स् को भी कश्मीरियों के नरसंहार के लिए दोषी ठहराया। देशद्राहे आरोपी शरजील इमाम के खिलाफ  आरोप पत्र दाखिल।

जिस प्रकार से जेएनयू के छात्र साजिद बिन सईद पर एफआईआर हुई है उसी प्रकार से कांग्रेस के अन्य नेताओं जैसे गुलाम नबी आजाद, सैफुद्दीन सोज, संदीप दीक्षित आदि पर भी पुलिस शिकंजा कसने में क्यों असफल हुई?

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि ‘भारतीय सेना जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों से ज्यादा नागरिकों को मार रही है। इसके तत्कालबाद, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने आजाद के बयान का समर्थन किया था। कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज कहा था कि पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का बयान सही था कि कश्मीरी नागरिक आजादी पसंद करेंगे।

टुकड़े-टुकड़े गैंग के कन्हैय्या कुमार उमर खालिद तथा अरूंधति राय आदि भी भारत की अपमान जनक टिप्पणी ही नहीं करते रहे हैं परंतु विदेश में इसी को लेकर भारत की छवि खराब करते रहे हैं।

यह सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हो रहा है।

ठीक इसके विपरीत आज का एक शुभ समाचार है : भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत, कनाडाई सरकार ने तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह की मांग को नकारा

कनाडा में  भारत विरोध अब  फ्रीडम आफ स्पीच नहीं : भारत की सख्ती के बाद बदले कनाडा के क्करू जस्टिन ट्रुडो के सुर

कनाडा की सरकार द्वारा एक अलगाववादी समूह की पंजाब 2020 के नाम से खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करवाने की मांग को रद्द कर दिया गया है। कनाडा के इस फैसले के बाद सिखों के नेता और विशेषज्ञों ने इसे भारत सरकार की कूटनीतिक जीत करार दिया है।

>> कांग्रेस पार्टी में असहमति की आवाज उठाना देशद्रोह कैसे? देश विराध कांग्रेस की दृष्टि में देशद्रोह क्यों नही?

कांग्रेस ने २०१९ के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में यह घोषणा की थी कि वह सत्ता में  आई तो देशद्रोह कानून को समाप्त कर देगी।

इसीलिये देशद्रोह के मुकदमें जिन लोगों पर चल रहे हंै वे कांग्रेस के  राहुल गांधी के चहेते युवा ब्रिगेड हैं। गुजरात के हार्दिक पटेल गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बन गये और कन्हैय्या कुमार तो राहुल गांधी के लिये असम विधानसभा चुनाव के समय पोस्टर बॉय थे।

जेएनयू में भारत की बर्बादी तक संघर्ष रहेगा जारी और जो आजादी के नारे लगाये थे उसके दूसरे दिन राहुल गांधी केजरीवाल और अन्य नेताओं के साथ टुकड़े-टुकड़े गैंग की पीठ थपथपाने के लिये पहुंचे थे।

अर्थात कांग्रेस की दृष्टि में देशविरोधी नारे लगाा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है परंतु ठीक इसके विपरीत राजस्थान कांग्रेेस के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने तथा अन्य कुछ विधायकों ने जब सीएम गहलोत के विरूद्ध आवाज उठाई तो कांग्रेस की गहलोत सरकार ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के निर्देश पर उन पर देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया।

अर्थात कांग्रेस पार्टी में विरोध व्यक्त करना कांग्रेस की दृष्टि में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं देशद्रोह है इसी मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बहस होने वाली है।

मोदी विरोध के चलते देश विरोध फिर रामद्रोह और अब राजद्रोह।

५०० वर्ष के संघर्ष के बाद और 28 साल के वनवास के बाद टेंट (त्रिरपाल) में से निकलकर  432 वर्ग फीट के बुलेटप्रूफ अस्थाई मंदिर में 9.500 ग्राम चांदी के सिंहासन पर विराजमान हो गए।

५ अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी संतो के आमंत्रण पर भूमिपूजन करने के लिये अयोध्या जाने वाले हैं इसका राहुल गांधी ब्रिगेड विरोध कर रही है। इस संबंध मेंं विस्तृत लेख और संपादकीय लोकशक्ति के कल २५ जुलाई २०२० के अंक में प्रकाशित हो चुके हैं।

उमा भारती ने राहुल गांधी, शरद पवार, शत्रुघ्र सिन्हा आदि ने जो इस भूमिपूजन कार्यक्रम का विरोध किया है उसे रामद्रोह की संज्ञा दी है।

रामद्रोह के बाद अब राजस्थान कांग्रेस पार्टी के मुुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्र को जो धमकी दी है कि यदि विधानसभा का अधिवेशन तुरंत नहीं बुलाया गया  तो कांग्रेस पार्टी गवर्नर हाऊस में ही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जायेगी और यदि जनता राजभवन का घेराव भी करेगी तो उसकी जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की नहीं होगी। इसे  भाजपा ने राजद्रोह की संज्ञा दी है। संबंधित समाचार आज का इस संपादकीय के नीचे है। 

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Rajasthan Political Crisi

गहलोत का राजभवन घेराव  राजद्रोह

राजस्थान बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने की राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात।

राजस्थान में अराजकता का वातावरण पैदा होने की बात कहते हुए बीजेपी ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन।

बीजेपी ने कहा- मुख्यमंत्री की राजभवन के घेराव की धमकी आईपीसी की धारा 124 के तहत स्पष्ट उल्लंघन।

 जयपुर – राजस्थान में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय जनता पार्टी (क्चछ्वक्क) की राजस्थान इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार शाम राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला। उसने राजस्थान में अराजकता का वातावरण पैदा होने की बात करते हुए राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा। बीजेपी ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि ‘मुख्यमंत्री की राजभवन के घेराव की धमकी और सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थता व्यक्त करना, आईपीसी की धारा 124 के तहत स्पष्ट उल्लंघन है।

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ये है कानून

धारा 124 ए के तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जो देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाते हैं या इस तरह की गतिविधि में लिप्त रहते हैं। दरअसल, यह एक राजद्रोह का कानून है, जो 124 ए के तहत आता है। इस धारा के अंर्तगत कोई व्यक्ति जब देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत कार्रवाई की जाती है।

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