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चतरा स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है चिकित्सक, झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने को मजबूर

चतरा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. ग्रामीण क्षेत्र में मरीज आज भी इलाज के लिए इधर-उधर चक्कर लगाने को मजबूर है.

30 Sep 2023

चतरा : चतरा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. ग्रामीण क्षेत्र में मरीज आज भी इलाज के लिए इधर-उधर चक्कर लगाने को मजबूर है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुंदा क्षेत्र की करीब लाखों आबादी के इलाज की जिम्मेदारी एएनएम और सावस्थ कर्मियों पर है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या दशा है. लोग भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि घर परिवार में कोई बीमार ना पड़ जाए. नहीं तो बीमारी की जांच कराना तो दूर इलाज के लिए चिकित्सक तक नहीं मिलते. करीब 27 साल पूर्व कुंदा ब्लॉक मुख्यालय पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ, तो वहां निवास करने वाले ग्रामीणों को लगा कि अब इलाज के लिए शायद भटकना नहीं पड़ेगा.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुंदा में नहीं है चिकित्सक

बावजूद इसके अस्पताल स्थापना से लेकर आज तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुंदा की व्यवस्था सहीं नहीं हो पाई. चिकित्सकों की अभाव ने इस अस्पताल में सिर्फ एएनएम और स्वास्थ्य कर्मियों के सहारे ही लाखों की आबादी का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल की दुर्दशा का आलम यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रखी गई बाइक एम्बुलेंस कबाड़ में तब्दील हो गई है. कभी शायद किसी का मरीज को बाइक एम्बुलेंस से लाया गया है या नहीं ये भी नहीं कहा जा सकता.

झोलाछाप डॉक्टर से कराना पड़ता है इलाज

दरअसल, पूरा मामला चतरा जिले के कुंदा से जुड़ा है, जहां लोग नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे अपनी जिंदगी को दाव लगाकर इलाज करावाते हैं. सुदूरवर्ती गांव के लोग जंगल से जड़ी बूटी लाकर अपना बीमारी को दूर करते हैं. केंद्र का संचालन स्वास्थ्य कर्मी और एएनएम के भरोसे करते हैं. यहां तक की स्वास्थ्य केंद्र का सफल संचालन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रतापपुर से किया जाता है. केंद्र में मामूली इलाज भी नहीं हो पता है. जिसके कारण यहां के लोग मजबूरन झोलाछाप डॉक्टर से अपना इलाज करते हैं. प्रखंड में पीएचसी के अलावे तीन उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसमें उप स्वास्थ्य केंद्र बनियाडीह, मेदवाडीह और सिकीदाग है.

स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

सभी केंद्र एएनएम, जीएनएम को और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के भरोसे चल रहा है. उक्त केंद्रों में सरकारी स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. पर्याप्त मात्रा में दवा भी उपलब्ध नहीं है. केंद्र में एक डॉक्टर आज तक कोई डॉक्टर नहीं बैठते है. प्रखंड में अधिकतर गरीबों तप के लोग रहते हैं, पैसे के अभाव में अपना इलाज नहीं कर पाते हैं.