समधिन को बनाया प्रमुख, करोड़ों खर्चे, पर नहीं कराया ऑडिट – Lok Shakti
November 1, 2024

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

समधिन को बनाया प्रमुख, करोड़ों खर्चे, पर नहीं कराया ऑडिट

रांची विश्वविद्यालय : पूर्व वीसी डॉ रमेश पांडेय ने खोला था ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स

Amit Singh

Ranchi : रांची विश्वविद्यालय में डॉ. रमेश कुमार पांडेय कुलपति के पद पर 3 मार्च 2015 से 2 मार्च 2021 तक रहे. कुलपति रहते छह साल के सेवा काल में डॉ पांडेय ने सबसे ज्यादा निर्माण कार्य कराया. चहेते ठेकेदारों को जमकर लाभ पहुंचाया. इन्होंने भी क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर करोड़ों खर्च किए, जिसका लाभ छात्रों से ज्यादा चहेतों को मिला. अपनो को अनुचित लाभ पहुंचाने की वजह से डॉ. पांडेय हमेशा चर्चा में रहे. डॉ पांडेय द्वारा खर्च किए गए 100 करोड़ से ज्यादा का ऑडिट नहीं कराया गया है.

डॉ. रमेश पांडेय ने अपने कार्यकाल में इंटरनेट सेवा शुरू करने के नाम पर करीब 5 करोड़ रुपये खर्च किए. ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के संचालन के नाम पर एक करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए. लेकिन इन छह करोड़ के खर्च का लाभ स्टूडेंट्स को मिला ही नहीं. और न ही जिम्मेवारों ने इस खर्च का ऑडिट कराया. मोरहाबादी स्थित विवि कैंपस में वाईफाई सेटअप लगाने का काम 2015 में शुरू हुआ, 2017 तक चला. इस सेटअप से 22 पीजी विभाग, विवि अंतर्गत चलने वाले वोकेशनल पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को लाभ मिलना था, लेकिन अचानक 2017 में ही इंटरनेट सेवा ठप हो गयी. बीएसएनल इंटरनेट सेवा प्रदाता है, जो हर महीने रांची विवि को 1 गीगाबाइट डाटा उपलब्ध कराता है. करोड़ों खर्च के बाद भी छात्रों को इंटरनेट और ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स का लाभ नहीं मिल रहा है.

समधिन को सौंप दी प्रमुख की कुर्सी

डॉ. रमेश पांडेय ने विवि कैंपस में ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स अपनी देखरेख में शुरू कराया. उस दौरान डॉ. पांडेय ने विवि में खरीदारी सहित कार्यालय खोलने के नाम पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च किए. खर्च का ऑडिट भी नहीं कराया. जबसे दिलचस्प पहलु यह रहा कि ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स का प्रमुख अपनी समधिन डॉ सुधा रोहतगी को बना दिया. विभागीय प्रमुख बना कर डॉ पांडेय ने समधी होने का फर्ज अदा किया. डॉ. सुधा रोहतगी विवि के अंग्रेजी विभाग की प्रमुख थीं.

करोड़ों खर्च, छात्रों को फायदा नहीं, कार्यालय में ताला बंद

वर्तमान में ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के कार्यालय में ताला लगा रहता है. विवि में कार्यालय खोलने की हरी झंडी सिंडिकेट की बैठक में मिली थी. इसके बाद विवि कैंपस में डीएसडब्ल्यू ऑफिस बिल्डिंग में डीन स्टूडेंटस वेलफेयर ऑफिस के दो कमरों में कार्यालय शुरू हुआ. कार्यालय खोलने का एक मात्र उद्देश्य यह था कि विदेश जाने वाले विद्यार्थी और विदेशों से आने वाले स्टूडेंट्स पासपोर्ट, वीजा के साथ-साथ विवि में सीटों की जानकारी हासिल कर सकें. नामांकन के अलावा स्कॉलरशिप संबंधित जानकारी स्टूडेंट्स को मिल सके.

यूजीसी गाइडलाइन के तहत खोला गया था ऑफिस

यूजीसी गाइडलाइन के तहत विवि में ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स का कार्यालय खोलना अनिवार्य था, ताकि विदेश जाकर पढ़ाई करने या विदेश से आकर यहां पढ़ने के इच्छुक स्टूडेंट्स को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत एक ही जगह सारी जारी जानकारियां मिल सकें. कार्यालय खुलने के कुछ ही माह बाद डॉ. सुधा रोहतगी सेवानिवृत्त हो गईं. उसके बाद कार्यालय संचालन का जिम्मा अंग्रेजी विभाग के डॉ राज कुमार को सौंपा गया है.

कई विवि में बेहतर कर रहा है कार्यालय

देश के कई विवि में ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स से स्टूडेंट्स को लाभ मिल रहा है, मगर रांची विवि में यह कार्यालय करोड़ों खर्च करने और संबंधियों को कुर्सी पर बैठाने के लिए खोला गया था. तभी तो विवि के कुलपति पद से हटने के साथ ही कार्यालय में कामकाज ठप हो गया. डॉ. रमेश कुमार पांडेय के कार्यकाल में किए गए खर्च का विस्तृत ऑडिट कराने का आग्रह राज्यपाल से किया गया है. नगड़ी निवासी एसके शर्मा ने पत्र लिखकर राज्यपाल को जानकारी दी है कि डॉ. रमेश कुमार पाडेय के कार्यकाल में सबसे ज्यादा पैसे खर्च हुए हैं, जिनमें से कई खर्च का ऑडिट ही नहीं कराया गया है.

ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स कार्यालय खोलने का उद्देश्य
विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय रणनीति में सुधार और विस्तार करना
दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ अनुसंधान, शिक्षण और प्रशासनिक सहयोग की सुविधा प्रदान करना.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छात्र, संकाय और कर्मचारियों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना.
अंतरराष्ट्रीय छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को विश्वविद्यालय की ओर आकर्षित करना.अंतरराष्ट्रीय भागीदार संस्थानों के साथ संयुक्त/दोहरी डिग्री कार्यक्रम विकसित करना.
विश्वविद्यालय की वैश्विक मान्यता और रैंकिंग संबंधी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाना.
विदेश में अध्ययन कार्यक्रम व संयुक्त परामर्श परियोजनाओं का आदान-प्रदान करना.
संयुक्त सम्मेलन एवं कार्यशाला में विवि के छात्र शामिल हो सकें.

इसे भी पढ़ें – वर्ल्ड कप के उद्घाटन मैच में अंग्रेजों को मिली करारी हार, न्यूजीलैंड ने ऐसे धोया