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भोपाल में सरकारी नौकरियों में बाहरी युवाओं को रोकने के लिए घटाई थी आयु सीमा

 मध्य प्रदेश की सरकारी नौकरियों में दूसरे राज्यों के युवाओं को शामिल होने से रोकने के लिए शिवराज सरकार ने पिछले कार्यकाल में अधिकतम आयु सीमा घटाई थी। पहले 33 वर्ष तक के अन्य प्रांतों के युवा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के माध्यम से होने वाली भर्ती परीक्षा में हिस्सा ले सकते थे, लेकिन 12 मई 2017 को इसे घटाकर अधिकतम आयु सीमा 28 साल कर दी थी। हाई कोर्ट ने इसे गलत माना था। इसके बाद कमल नाथ सरकार ने 2019 में अधिकतम आयु सीमा बढ़ाकर पहले 33, फिर 35 और अंत में 40 वर्ष कर दी, जो वर्तमान में लागू है। पिछले विधानसभा चुनाव बेरोजगारी बड़ा मुद्दा था।

लिहाजा शिवराज सरकार ने बेरोजगार युवाओं के हितों को मद्देनजर रखते हुए फैसला लिया। उन्हें प्रदेश में रोजगार के अधिक अवसर मुहैया कराने के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाने वाले सीधी भर्ती के राजपत्रित एवं अराजपत्रित कार्यपालिक पदों के लिए न्यूनतम आयुसीमा 21 और अधिकतम 28 साल तय कर दी थी। इसी तरह तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए न्यूनतम आयुसीमा 18 और अधिकतम 25 साल तय की थी। मकसद यही था कि अन्य प्रांत के युवा प्रदेश में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षा में कम हिस्सा ले पाएं, जिससे प्रदेश के युवाओं को अधिक मौका मिले। घटाई गई आयु सीमा के अनुसार ही राज्य लोकसेवा आयोग के माध्यम से उच्च शिक्षा विभाग के लिए सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस प्रावधान को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताकर प्रभावित कुछ प्रतिभागियों ने हाई कोर्ट, जबलपुर में इसे चुनौती दी थी। अदालत ने इस प्रावधान को संविधान की भावना के खिलाफ पाया था। तब कमल नाथ सरकार में विधि विभाग के परामर्श से 19 दिसंबर 2019 को अधिकतम आयु सीमा के प्रावधानों में संशोधन कर सबके लिए फिर 40 साल कर दी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव राजेश कौल ने बताया कि वर्तमान में अधिकतम आयु सीमा 40 साल है। प्रदेश की महिला सहित अन्य वर्गों को पांच साल की छूट पहले की तरह मिल रही है।