इस बार भले ही त्योहारों पर कोरोना का ग्रहण लगा हो लेकिन मंगलमूर्ति भगवान गणेश के आगमन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध के बावजूद गणेशोत्सव पर्व के लिए घर-घर आयोजन होंगे। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार सुबह से मंगल मूर्ति की प्रतिमा स्थापना का मुहूर्त रहेगा। जो दोपहर के समय सबसे शुभ माना जाता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 22 अगस्त को गणेशोत्सव पर्व की शुरुआत होगी।
मान्यता है कि चतुर्थी के दिन मां पार्वती ने गणेश जी को जन्म दिया था। यह जन्म संसार में होने वाली संतान की तरह नहीं बल्कि दैवीय शक्ति के माध्यम दिया गया। गणेश जी का जन्म दोपहर में हुआ था इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि चतुर्थी तिथि 21 अगस्त को रात 11.02 बजे से शुरू होकर 22 अगस्त की रात 7.56 बजे समाप्त होगी। गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन न करें। यदि आपने इस दिन चंद्रमा का दर्शन कर लिया तो आप पर कलंक या गलत आरोप लग सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी को चंद्रमा दर्शन के कारण ही भगवान कृष्ण पर स्यमंतक मणि चोरी करने का मिथ्या आरोप लगा था।
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