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टीबी से बचाव का टीका बुजुर्गों को लगाकर देखा जाएगा कि यह कोरोना से बचाव करता है या नहीं।

भोपाल में 250 लोगों पर यह अध्ययन किया जाएगा। इंडियन काउंसलि ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की तरफ से यह शोध देश भर में किया जा रहा है। देश के आठ शोध संस्थानों को यह जिम्मेदारी दी गई है। इसमें भोपाल स्थित राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य संस्थान (नीरेह) भी शामिल है।

नीरेह के वैज्ञानिक डॉ. अनिल प्रकाश ने बताया कि अभी तक सामान्य निगरानी में सामने आया है जिन्हें टीबी से बचाव के लिए बीसीजी का टीका लगा हुआ है उन्हें कोरोना नहीं हो रहा है। यह भी माना जा रहा है कि अमेरिका, यूरोप में कोरोना का संक्रमण और मौतें ज्यादा होने की वजह यह है कि यहां बीसीजी का टीका नहीं लगाया जाता।

भारत में जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, उन्हें टीबी का टीका नहीं लगा है। वजह, राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में इसे 1960 के बाद शामिल किया गया है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 60 से ज्यादा उम्र के लोगों के प्रभावित होने की यह एक वजह हो सकती है। इसे साबित करने के लिए आईसीएमआर नीरेह व अन्य संस्थानों के जरिए यह शोध करा रहा है।

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