कर्ज में डूबी और दिवालिया होने की कगार पर खड़ी फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल ने संजीवनी दी है. शनिवार को रिलायंस रिटेल ने 24,713 करोड़ में फ्यूचर ग्रुप का अधिग्रहण कर लिया. फ्यूचर ग्रुप में हजारों लोग नौकरी करते हैं और सप्लाई चेन भी हजारों लोग जुड़े हुए हैं. कर्ज ना चुकाने पाने की हालात में कंपनी पर ताला लगने की आशंका गहराती जा रही थी.
छब्बीस साल की उम्र में फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी ने पहला पहला स्टोर पैंटालून के नाम से खोला था. तब किसी ने नही सोचा था कि किशोर बियानी को रिटेल सेक्टर के गॉड फादर का तमगा मिलेगा और ना ही किसी ने यह सोचा था कि उनकी कंपनी यानी फ्यूचर ग्रुप कर्ज में इतना डूब जाएगी कि वह कर्ज का ब्याज चुकाने में भी असमर्थ हो जाएगी. कंपनी पेमेंट में डिफाल्ट करने लगी थी. फ्यूचर ग्रुप पर कर्ज का संकट इतना विकट था कि उसे इस बात से समझा जा सकता है कि कंपनी को फॉरेन बॉंड्स पर 100 करोड़ का ब्याज चुकाना था जिसे कंपनी ग्रेस पीरियड खत्म होने के आखिरी दिन ही चुका सकी.
कोरोना ने कंपनी की वित्तिय हालत को और बिगाड़ दिया. लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर स्टोर्स को बंद करना पड़ा. फ्यूचर ग्रुप के सभी तरह के स्टोर्स की संख्या 1650 से भी अधिक है और हजारों लाखों लोग इससे प्रत्यक्ष अप्रत्क्ष रूप से जुड़े हैं. कर्ज बढ़ने से कंपनी के डूबने के खतरे के बीच कर्मचारियों को भी अपनी नौकरी की चिंता सता रही थी. रिलायंस रिटेल के निवेश ने कंपनी को उसके दुर्दिनों से उबार लिया है.
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