कराटे की ओपन प्रतियोगिता में देश ही नहीं, विदेश में भी अपना डंका बजाने वाली और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने का सपना देखने वाली छात्राएं आर्थिक तंगी के चलते अब कराटे की प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पा रही हैं। कराटे में अपना भविष्य बनाने वाली छात्राएं शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रही हैं। आर्थिक तंगी के चलते छात्राएं दूसरे प्रदेशों में होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेने नहीं जा सकती हैं। छात्राओं को शासन-प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है। इसका छात्राओं को मलाल है, लेकिन उनके हौंसले अभी भी बुलंद हैं। वे घर पर ही कराटे की प्रैक्टिस कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि हम अपनी तैयारी करते रहते हैं, क्या पता किस दिन सरकार की नजरें इनायत हो जाएं।
जानकारी के मुताबिक, गरियाबंद देवभोग स्थित सगरीबहाली निवासी पद्मलता यादव 11वीं तथा देवभोग निवासी अनिता मरकाम 9वीं की छात्रा हैं। दोनों कराटे में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं। पद्मलता यादव ने 40 किलो और अनिता मरकाम 36 किलो वर्ग भार में खेलती हैं। येलो बेल्ट के लिए मुंबई के अंधेरी में वर्ष 2018 में ओपन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें पद्मलता ने गोल्ड और अनिता ने सिल्वर मेडल जीता था। उसके बाद दोनों ने नेपाल की राजधानी काठमांडू में वर्ष 2018-19 में इंटरनेशन प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया था। इसमें पद्मलता ने ब्रांज और अनिता ने सिल्वर मेडल जीता था। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दो बार शासन की तरफ से मदद मिली, लेकिन उसके बाद हाथ खींच लिए गए। तब से आर्थिक तंगी की वजह से ये दोनों ही कराटे की प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पा रही हैं।
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