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देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में बड़ी गिरावट ने छत्तीसगढ़ को भी चिंता में डाल दिया है।

राज्य में सरकारी और प्राइवेट दोनों ही नई नौकरियों की उम्मीद पूरी तरह खत्म हो जाएगी, बल्कि एक बार और छंटनी की स्थिति बनेगी। ऐसे में खेती में बुरा असर नहीं होगा, लेकिन पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू नहीं होने पर कई कारखाने बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। इससे मजदूर और कर्मचारी सभी बेरोजगार हो जाएंगे। बाकी कारोबार में भी नुकसान होगा। चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी का अनुमान -23.9 फीसदी है। यह कोरोना संक्रमण और सख्त लॉकडाउन की वजह से हुआ है। छत्तीसगढ़ में भी सख्ती के कारण अभी भी कई उद्योग शुरू नहीं हो सके हैं, तो ज्यादातर अपनी क्षमता से बेहद कम उत्पादन कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या कैश फ्लो की है। कोराेना के बाद बाजार में सामान्य दिनों की तरह खरीददारी नहीं हो रही है। इससे जिससे बाजार में कैश कम हो गया है। इसे लेकर वित्त विभाग के अफसर और आर्थिक जानकारों का कहना है कि देश की जीडीपी गिरने का सीधा असर राज्य पर पड़ेगा। सर्विस सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। पिछले साल 2019-20 में राज्य की जीडीपी 6.8 फीसदी थी, जो 2021 में डेढ़ फीसदी घट सकती है। 2019-20 की बात करें तो राज्य में 3 लाख 29 हजार 180 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था। इससे पहले 2018-19 में यह 3 लाख 11 हजार 186 करोड़ रुपए था। इस कारण ही जीडीपी में 6.8 की वृद्धि थी। जानकार कहते हैं कि 2019 की तुलना में 2020-21 में क्या स्थिति होगी, इसका केवल आंकलन लगाया जा सकता है। जीडीपी में कमी का आशय है कि सामान का उत्पादन व सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। ऐसी स्थिति में जहां एक तरफ नए रोजगार के लिए संकट उत्पन्न हो सकता है। वहीं सरकार लोगों के रोजगार देने में असमर्थ हो सकती है या कमी हो सकती है।

जीएसटी के जानकार रमेश वर्ल्यानी की माने तो केंद्र सरकार ने तो पेट्रोल-डीजल की दरों में अंतरराष्ट्रीय कमी होने पर 16 हजार करोड़ रुपए कमा लिए। इसे केवल सेंट्रल पूल में रख लिया, लेकिन देशवासियों व प्रदेश सरकारों को उसका फायदा या राहत नहीं दी।