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यूपी राज्यसभा: भाजपा को नौवीं सीट के लिए 5 वोट की जरूरत, पार्टी के समर्थन में 2 विधायकों की क्रॉस वोटिंग

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा में से एक सीट का चुनाव दिलचस्प हो गया है। यूपी से बीजेपी के 8 और सपा का एक कैंडिडेट राज्यसभा जाना तय है। बाकी बची एक सीट के लिए भाजपा के 9वें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल और बसपा के इकलौते उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। अब तक बीजेपी के फेवर में एसपी विधायक नितिन अग्रवाल और बसपा विधायक अनिल सिंह ने क्रॉस वोटिंग की है।वहीं, निषाद पार्टी के विजय मिश्रा ने भी वोट डाला है। जीत के लिए बीजेपी को 5 वोट की दरकार है। उधर, बसपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

उत्तर प्रदेश राज्यसभा के चुनाव को ऐसे 8 प्वाइंट्स में समझें

1) भाजपा को नौंवी सीट के लिए कैसे 6 विधायकों की जरूरत?
– कुल 10 सीट पर चुनाव हैं। उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें हैं। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए किसी भी पार्टी के पास 37 विधायक होने जरूरी हैं। बीजेपी अलायंस के पास 324 सीट हैं। 8 सदस्यों को राज्यसभा पहुंचाने के बाद 28 विधायक बचते हैं। ऐसे में एक और सदस्य को अपर हाउस भेजने के लिए 9 विधायक का समर्थन चाहिए।
– जरूरी 9 में से बीजेपी को 4 वोट मिले: नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन ने भाजपा को वोट दिया है। निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्रा और बसपा के भी भाजपा को वोट डाला। निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी भी भाजपा के साथ हैं। भाजपा को 9वीं सीट जीतने के लिए अब 5 विधायक चाहिए।
2) बीएसपी की मुश्किल कैसे बढ़ी?
– बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पास 19 विधायक हैं। पार्टी ने भीमराव अंबेडकर को मैदान में उतारा है। जीत के लिए 37 विधायकों का समर्थन चाहिए। उधर, सपा ने बसपा का समर्थन कर रही है। सपा के पास 47 विधायक हैं। जया बच्चन को अपर हाउस में भेजने के लिए उसे 37 विधायक की जरूरत है। इसके बाद पार्टी के पास 10 विधायक बचते हैं। नरेश अग्रवाल और उनके विधायक बेटे नितिन अग्रवाल बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इससे एक वोट कम हो गया है।
– बसपा को ऐसे हुआ नुकसान: बीएसपी के मुख्तार अंसारी और हरिओम यादव जेल में हैं। हाईकोर्ट ने उनके राज्यसभा चुनाव में वोट डालने पर बैन लगा दिया है। इसके साथ, विधायक अनिल सिंह ने भी बीजेपी के फेवर में वोटिंग की है।
– अब ये स्थिति बन रही है-अंबेडकर को राज्यसभा भेजने के लिए बीएसपी के 16 + सपा के 9+ कांग्रेस के 7+ राष्ट्रीय लोकदल के 1 वोट के सहारे है। इस तरह टोटल 34 विधायक हो रहे हैं। जीत के लिए तीन विधायकों की और जरूरत होगी।
3) अगर भाजपा-बसपा कैंडिडेट को नहीं मिले जरूरी वोट?
– यूपी में एक राज्यसभा सदस्य चुनने के लिए 37 मैजिक फिगर है। अगर किसी उम्मीदवार को 37 वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता (सेकंड प्रेफरेंस) के आधार पर जीत का फैसला होगा। इसमें सबसे ज्यादा वोट वाले उम्मीदवार को राज्यसभा सदस्य चुन लिया जाएगा।
– राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के दौरान हर विधायक अपनी वरीयता तय कर सकता है कि वो पहली, दूसरी, तीसरी वरीयता में किसे मत देगा।
4) मायवती को अखिलेश ने 9 विधायकों की लिस्ट सौंपी
– गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को हराने के बाद दोनों पार्टियों के लिए यह चुनाव बेहद अहम हो गया है। वहीं, बीजेपी भी पूरी ताकत लगा रही है।
– इसी के मद्देनजर मायावती ने अपने उम्मीदवार की जीत तय करने के लिए सपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव से सपा के 9 विधायकों की लिस्ट मांगी। अखिलेश ने यह लिस्ट बसपा प्रमुख को दे दी है।
5) तीनों पार्टियों का था क्रॉस वोटिंग का डर
– सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी सपा, बसपा, कांग्रेस ने क्राॅस वोटिंग रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी। कांग्रेस के विधायकों का वोट बसपा के पक्ष में देने के लिए राज बब्बर, प्रमोद तिवारी और पीएल पूनिया लखनऊ में डेरा डाले हैं। बसपा को पार्टी में सेंधमारी की आशंका थी। ऐसा हुआ भी। इसे रोकने के लिए मायावती ने खुद एक-एक विधायकों से मुलाकात की थी।
6) कितने कैंडिडेट्स का राज्यसभा जाना तय?
– भाजपा से 8: अरुण जेटली, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, डॉ. अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव।