08 oct 2020
शाहीन बाग में सीएए विरोधी धरना और प्रदर्शन में लिबरल गैंग ने सक्रिय भूमिका निभाई और समर्थन दिया। लोकतंत्र और संविधान बचाने के नाम पर लिबरल गैंग ने लोगों को भड़काने की कोशिश की। अपने मनगढ़ंत तर्कों और काल्पनिक डर दिखाकर लोगों को गुमराह किया। लेकिन शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया है। उन्हें प्रतिक्रिया देना मुश्किल हो रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- विरोध के नाम पर भविष्य में न बने कोई ‘शाहीनबाग’
विरोध के लिए सार्वजनिक जगहों पर कब्जा नहीं जमा सकते
शाहीन बाग में सड़क रोककर बैठी भीड़ को हटाने से जुड़े मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. विरोध प्रदर्शन के अधिकार को लेकर कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति/संगठन विरोध प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक रास्तों को ब्लॉक करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में सड़क रोक कर प्रदर्शन किए जाने पर लगाम के लिए जवाबदेही भी तय की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विरोध करने वाले लोगों को विरोध के ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिए, जो औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के दौरान इस्तेमाल किए गए थे.
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