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कथित फर्जी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स मामले की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी है.

कथित फर्जी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स मामले की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी है. इसी बीच महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले से मामले में नया मोड़ आ गया है. महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी एक आदेश बुधवार को जारी किया.

सूत्रों के अनुसार इस कदम के तहत सीबीआई को अब राज्य में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा 22 फरवरी 1989 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी और उसे किसी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.

टीआरपी घोटाला मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से सीबीआई जांच से कराने की मांग की थी. जिसके बाद टीआरपी में हेरफेर के आरोपों पर एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद सीबीआई ने लखनऊ पुलिस से जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया. जब इस मामले में अचानक से उत्तर प्रदेश में सीबीआई जांच शुरू हो गई तो महाराष्ट्र में उद्धव सरकार ने जांच के लिए बिना अनुमति राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है.

अब इस कदम के तहत सीबीआई को अब राज्य में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा 22 फरवरी 1989 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी और उसे किसी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी. अब अगर सीबीआई किसी मामले की जांच करना चाहती है तो उसे सहमति के लिए राज्य सरकार से संपर्क करना होगा. पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्य पहले ही ऐसे कदम उठा चुके हैं.

प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद केंद्र और उद्धव सरकार के बीच नए सिरे से विवाद शुरू हो सकता है. सीबीआई के राज्य में प्रवेश पर रोक लगाने के मामले में बीजेपी ने उद्धव सरकार को घेरना शुरू कर दिया है और महाराष्ट्र सरकार के फैसले को तुगलकी फैसला बताया है.

बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कौन सा ऐसा भय है कि अपने ही देश की जांच एजेंसी सीबीआई पर रोक लगा दी. पालघर लिंचिंग केस में सरकार की जिस तरह से लीपा-पोती करती रही, वो सभी ने देखी है. राम कदम ने कहा कि क्या इसी प्रकार की लीपा-पोती या सच्चाई को दफनाने की यह उनका प्रयास है. क्या उसी के लिए सीबीआई जांच पर रोक लगाई है. इन बातों का जवाब महाराष्ट्र की सरकार को देना होगा.