Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

दिवाली के लिए झूमर-झालर बना चाइनीज सामान को चुनौती दे रहीं बोकारो की लड़कियां

झारखंड में हुनरमंदों की कमी नहीं है। ऐसी ही हुनरमंदों की टोली रहती है बोकारो शहर की झोपड़पट्टी में। यहां की किशोरियां झूमर, झालर व अन्य सजावटी सामान बना कर चाइनीज सामग्री को चुनौती दे रही हैं। हाल के दिनों में इसकी मांग बढ़ी है। ये शौक से घर में ही काम करती हैं और पढ़ाई का खर्च निकालती हैं। वहीं, इस झोपड़पट्टी की महिलाएं मिठाई व अचार बना कर आर्थिक रूप से सबल बन रही हैं। अब घर बैठे समूह की हर महिला व किशोरी दो से चार हजार रुपये प्रतिमाह कमा रही हैं।

इसकी पहल बोकारो की समाजसेवी सह शिक्षिका साध्वी झा ने की है। 2017 में उन्होंने नगर की झोपड़पट्टियों व गांवों में जाकर किशोरियों को स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। फिर इच्छुक लड़कियों को ललिता कुमारी से प्रशिक्षण दिलाया। इसके बाद वैष्णवी किशोरी सृजन समूह का गठन किया गया। फिलहाल समूह में 20 किशोरियां हैं। साध्वी झा की मुहिम जारी है। उन्होंने महिलाओं का भी समूह बनाया है।

संयोजक रिंकू कुमारी ने बताया कि सातवीं से 12 वीं कक्षा तक की लड़कियां समूह से जुड़ी हैं। वे अपने घर में ही झालर, खिलौना, झूमर, बैग, गुलदस्ता, वंदनवार, हैंगर, आइसक्रीम स्टीक का मंदिर जैसी सजावटी वस्तुएं बनाती हैं। चास, बोकारो एवं आसपास के बाजार में इसे बेचा जाता है। यह सामग्री कीमत और आकर्षण में चाइनीज चीजों को टक्कर दे रही हैं। प्रत्येक किशोरी हर सप्ताह 10 रुपये जमा करती हैं। इससे चास के बाजार से कच्चा माल खरीदा जाता है। हर माह समूह की प्रत्येक किशोरी को दो से तीन हजार रुपये आय हो जाती है।

अंजली कुमारी, मुस्कान कुमारी, आस्था कुमारी, मेघा कुमारी, प्रीति कुमारी, नंदिनी कुमारी व पूजा कुमारी बताती हैं कि उन्हें प्रशिक्षक ललिता कुमारी का मार्गदर्शन मिलता रहता है। पढ़ाई और घरेलू कार्य पूरा करने के बाद बचे समय में अपने हुनर का सदुपयोग करती हूं। पहले थोड़े पैसे मिलते थे। अब हर माह सामान की बिक्री से आय होती है। हम लोग इस पैसे से पुस्तकें खरीदते हैं। ट्यूशन व शिक्षण शुल्क भी जमा करते हैं।

बीएसएल एलएल झोपड़पट्टी में दिहाड़ी व ठेका मजदूर स्वजनों के साथ रहते हैं। इनकी आय काफी कम है। साध्वी झा ने यहां की महिलाओं को भी आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया। अचार, च्यवनप्राश, कद्दू व बेसन की बर्फी, निमकी, मुरब्बा, पाचक, गुझिया आदि बनाने का प्रशिक्षण दिला कर कल्याणेश्वरी महिला सृजन श्री समूह का गठन किया। इसमें 20 महिलाओं को शामिल किया गया। हर महिला कच्चा माल खरीदने के लिए प्रतिमाह 100 रुपये जमा करती है। वे घर का काम पूरा कर खाद्य सामग्री बनाती है। इसे आर्डर के अनुसार स्थानीय बाजार व मोहल्ले में बेचा जाता है।

समूह की किशोरियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम जारी है। उत्पादों को बड़े स्तर पर व्यवसाय का रूप दिया जाएगा। चास-बोकारो के मॉल प्रबंधन से बात हो रही है। एक व्यवसायी ने हामी भरी है। इसके अलावा ऑनलाइन बिक्री भी की जाएगी। इससे क्षेत्र की महिला-किशोरियां आर्थिक रूप से सबल बनेंगी।’