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जिस स्टेशन पर कभी की थी TTE की नौकरी, अब उसी जिले की मिली कलेक्टरी

मैंने जिस शहर में रहकर,पढ़ाई करके और रेलवे स्टेशन पर टीटीई की नौकरी करते हुए कलेक्टर बनने के सपने देखे,अब उसी शहर में कलेक्टर बनूंगा। मेहनत-लगन के साथ सिलेक्शन पाया है और ग्वालियर शहर का माहौल अच्छे से समझता हूं। इस शहर की मेरे लिए थोड़ी अलग अहमियत है। ग्वालियर में शहर विकास और शासन की योजनाओं को प्राथमिकता से अमल के लिए काम करूंगा। 2008 बैच के आईएएस और ग्वालियर के नवागत कलेक्टर भरत यादव का यह कहना है।

नईदुनिया से बातचीत के दौरान श्री यादव ने ग्वालियर को लेकर अपनी प्राथमिकताएं और अनुभव साझा किए। वे सोमवार को ग्वालियर जिले का चार्ज संभालेंगे।

सिवनी,बालाघाट और मुरैना जिले में कलेक्टरी कर चुके आईएएस भरत यादव अब ग्वालियर की कमान संभालेंगे। ग्वालियर कलेक्टर अशोक कुमार वर्मा का भोपाल मंत्रालय में तबादला किया गया है। महज सात महीने का ही अशोक कुमार वर्मा का यहां कार्यकाल रहा। इससे पहले रहे कलेक्टर राहुल जैन भी 11 महीने की ग्वालियर में रह पाए थे।

नए कलेक्टर की ये है कार्ययोजना

नवागत कलेक्टर भरत यादव ने बताया कि वे महानगर ग्वालियर में चल रहे विकास कार्य से लेकर स्मार्ट सिटी को खास फोकस में रखेंगे। चार्ज लेते ही तीन-तीन माह और छह-छह माह की टाइम लिमिट में कामकाजों को लिया जाएगा। शॉर्ट टाइम और लांग टाइम के आधार पर कार्ययोजना होगी। सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले और लाइन में लगकर परेशान होने वाले लोगों को इससे राहत दिलाई जाएगी। शासकीय योजनाओं को ग्राउंड लेवल पर अमला करना यह मुख्य तौर पर शामिल रहेगा,लोगों को सेवा की डिलेवरी तत्काल मिले,यह अहम है।

संक्षिप्त परिचय

-दतिया के रहने वाले और शिवपुरी में अधिकतर स्कूली पढ़ाई की।

-मुंबई में 11वीं और 12वीं पूरी की।इसके बाद 1999 में रेलवे में टीटीई के लिए चयन

-ग्वालियर में भी टीटीई की नौकरी की और यहीं से यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी। 2008 में चयन हो गया।

दिव्यांगजनों लिए ये बेहतर कार्य किए

नवागत कलेक्टर दिव्यांगजन,वृद्वजन और महिला सशक्तिरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने का अनुभव रखते हैं। बालाघाट में रहने के दौरान कलेक्टर भरत यादव ने 150 दिव्यांग जोड़ों का विवाह कराया। वहीं सिवनी में दिव्यांगों की संस्था के लिए दिव्यांगजनों का चैरिटी शो कराया जिसमें दो करोड़ की चैरिटी लोगों के माध्यम से आई। उस राशि की संस्था के नाम एफडी कराई और अब संस्था खुद के पैरों पर खड़ी है।