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UP में 37-37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे सपा-बसपा, कांग्रेस महागठबंधन से बाहर!

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन की चर्चा लंबे वक्त से जोरों पर है। कहा जा रहा था कि भाजपा और एनडीए के खिलाफ बिहार की तर्ज पर एक महागठबंधन बनाया जाएगा। इस महागठबंधन की चर्चा सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को लेकर रही है। उत्तर प्रदेश इसलिए भी अहमियत रखता है क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यहां 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से 71 सीटें तो अकेले भाजपा की झोली में आयी थीं। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में महागठबंधन को लेकर कांग्रेस की उम्मीदों पर सपा और बसपा ने पानी फेर दिया है।

सूत्रों के हवाले से जिस तरह की खबर आ रही है, उसके अनुसार सपा और बसपा दोनों पार्टियां 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं, जबकि चार सीटें राष्ट्रीय लोक दल को मिल सकती हैं। 80 में से बची दो सीटों के बारे में माना जा रहा है कि वह दो सीटें अमेठी और रायबरेली हो सकती हैं और यह कांग्रेस के लिए छोड़ी जा सकती हैं।

दरअसल राज्य में भाजपा के खिलाफ किलेबंदी में जुटी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने कदम शुक्रवार को और आगे बढ़ाए। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नई दिल्ली स्थित बसपा सुप्रीमो मायावती के बंगले पर उनसे मुलाकात की। दोनों की तीन घंटे से अधिक चली बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर विस्तार से चर्चा हुई।

सूत्रों के अनुसार गठबंधन में कांग्रेस के लिए तो कोई स्थान नहीं रहेगा लेकिन, सपा-बसपा और रालोद के साथ तीन-चार छोटे दलों को जगह मिल सकती है। हालांकि, इस संबंध में दोनों दलों के नेताओं ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह दूसरा अवसर था जब अखिलेश, मायावती से मिलने उनके बंगले पर पहुंचे। पूर्व में गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट के उप चुनाव के पहले जब बसपा ने सपा को समर्थन देने का फैसला किया था, तब अखिलेश लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित बसपा प्रमुख के बंगले पर धन्यवाद देने पहुंचे थे। इसके बाद ही भाजपा के खिलाफ दोनों दलों के बीच गठबंधन की नींव पड़ने लगी थी।

सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले भी अखिलेश की बसपा के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं से दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसमें सीटों के बंटवारे पर भी बात हुई थी। शुक्रवार को अखिलेश ने नई दिल्ली के त्यागराज मार्ग स्थित मायावती के बंगले पर जाकर गठबंधन के संबंध में विस्तार से बात की।

सूत्रों के अनुसार मायावती और अखिलेश ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर ही रखने पर मुहर लगा दी है। हालांकि, अमेठी व रायबरेली सीट पर कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन का प्रत्याशी नहीं उतारा जाएगा। गठबंधन में रालोद के साथ ही क्षेत्र विशेष में प्रभाव रहने वाले तीन से चार छोटे दलों को भी शामिल किया जा सकता है। रालोद को जहां दो से तीन सीटें देने की बात है वहीं अन्य छोटे दलों को एक से दो सीटें दी जाएंगी। छोटे दलों में पीस पार्टी, निषाद पार्टी, अपना दल और सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) हो सकती है।

सूत्र बताते हैं कि सुभासपा का भाजपा को लेकर जो रुख है उससे सपा-बसपा नेताओं का मानना है कि आगे चल कर वह गठबंधन में शामिल हो सकती है। ऐसा होने पर उसे दो सीटें दी जा सकती हैं। किसी कारण से ऐसा न होने पर एक से दो सीटें कृष्णा पटेल की अपना दल को जा सकती हैं।

गठबंधन में एक सीट निषाद पार्टी व एक सीट पीस पार्टी को भी दी जा सकती है। ऐसे में बसपा जहां 36 से 37 सीटों पर वहीं सपा 34 से 36 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जरूरत पड़ने पर सपा अपने कोटे की सीटों में से किसी अन्य दल के साथ भी राजनीतिक सौदेबाजी कर सकती है।

अखिलेश और मायावती की इस मुलाकात के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि मायावती के जन्मदिन पर या फिर जनवरी में ही गठबंधन के संबंध में सार्वजनिक ऐलान कर दिया जाएगा। इस बीच मायावती नई दिल्ली से लखनऊ आ जाएंगी। लखनऊ में दोनों नेताओं की मौजूदगी पर गठबंधन पर और चर्चा आगे बढ़ेगी।