सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यों की संवैधानिक पीठ 10 जनवरी से अयोध्या मामले की सुनवाई करेगी। इस पीठ में जस्टिस रंजन गोगाई, जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस एनबी रमन्ना, जस्टिस यूयू ललित, डीवाइ चंद्रचूड़ शामिल हैं। पहले तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी, इस संविधानपीठ में उसमें से दो जजों , जस्टिस नज़ीर और जस्टिस अशोक भूषण को इस बेंच में शामिल नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यों की संवैधानिक पीठ राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक से जुड़े मामले में 10 जनवरी से सुनवाई करेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ की भूमि को तीन पक्षकारों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बांटने का आदेश सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर, 2018 को मामले की सुनवाई जनवरी, 2019 के पहले हफ्ते में तय की थी। बाद में एक याचिका में मामले की तत्काल सुनवाई की भी अपील की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर को आदेश जारी किया जा चुका है। तत्काल सुनवाई की याचिका अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने दी थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 27 सितंबर, 2018 को 2:1 से दिए फैसले में 1994 के अपने फैसले पर विचार के लिए पांच सदस्यीय पीठ के गठन से इन्कार कर दिया था। 1994 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं है। अयोध्या मामले में सुनवाई के दौरान यह मसला उठा था।
‘रोजाना हो राम मंदिर पर सुनवाई’
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मसले पर रोजाना सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा था, ‘सरकार चाहती है कि इस मसले पर अदालत रोजाना सुनवाई करे, जिससे जल्द इस मसले का समाधान निकल सके।’
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