केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब तक कहते आए हैं कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने दिया जाना चाहिए. लेकिन अब राहुल का कुछ और ही कहना है. उन्होंने शनिवार को इस मुद्दे पर कहा कि उन्हें दोनों पक्षों के तर्क में दम दिखाई देता है इसलिए वह साफ तौर पर कुछ नहीं कह सकते.
उन्होंने इस मामले पर दुबई में कहा,”मैंने इस मामले पर दोनों पक्षों की बात सुनी है और मेरा आज का रुख शुरुआती रुख से अलग है. केरल के लोगों की बात सुनने के बाद मुझे दोनों पक्षों के तर्क में दम दिखाई देता है. इस तर्क में वैधता देखता हूं कि परंपरा का संरक्षण किए जाने की आवश्कता है. मैं इस तर्क में भी वैधता देखता हूं कि महिलाओं को समान अधिकार मिलने चाहिए. इसलिए मैं इस मुद्दे पर अपना स्पष्ट रुख नहीं बता पाउंगा.”
राहुल ने कहा कि केरल के लोग और केरल की कांग्रेस कमिटि से इसपर बात की. जिसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि ये मुद्दा बेहद जटिल है. दोनों ही पक्षों का रुख वैध है. मैं इस मामले पर फैसला करने की जिम्मेदारी केरल के लोगों को सौंपता हूं.
राहुल गांधी ने 28 सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा था कि सभी महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में जाने की अमुमति मिलनी चाहिए. राहुल का ये विचार केरल की कांग्रेस इकाई से अलग था. गौरतलब है कि केरल के सबरीमाल मंदिर में सदियों से महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है. मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को खत्म कर दिया था. लेकिन कोर्ट के इस फैसले का आज तक विरोध किया जा रहा है. विरोध करने वालों में भगवना अयप्पा के भक्तों के अलावा राजनीतिक पार्टियां और हिंदू संगठन भी शामिल हैं.
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