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Editorial :- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये क्या देशद्रोह का कानून हो खत्म?

21 January 2019

देशद्रोह की पोषक राजनीति के समक्ष घुटने टेकती वर्तमान कानून और व्यवस्था दे रही है चुनौती देश की सुरक्षा को।

>> देशद्रोह का कानून खत्म कर देने वाला कांगे्रस नेता कपिल सिब्बल का बयान है कितना उचित?

18 जनवरी को भी कश्मीर के श्रीनगर के लाल चौक में आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड हमला किया। कश्मीर में रोजाना आतंकी घटनाएं हो रही है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि एक ओर कश्मीर के अंदर ग्रेनेड फेंके जा रहे तो पाकिस्तान सीमा पर हमारे जवान शहीद हो रहे है।

दूसरी ओर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस यह मांग कर रही है कि इन आतंकवादियों से वार्तालाप की जाये? आतंकवादियों से मुकाबला जिस समय भारत की सेना और कश्मीर की पुलिस संयुक्त रूप से करती है उस समय उन पर पत्थरबाजी करने वालों को ये ही राजनीतिज्ञ देशभक्त की संज्ञा देते हैं।

कश्मीर में खुले आम आतंकी संगठन आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं। इसी प्रकार नक्सलवाद की वजह से देश के कई हिस्सों में आतंक जैसा माहौल है। ऐसे माहौल में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपित सिब्बल ने मांग की है कि देशद्रोह का कानून खत्म कर दिया जाए। सिब्बल का कहना है कि देशद्रोह का कानून अंग्रेजों ने स्वतंतत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया था और अब इसकी कोई जरुरत नहीं है। सिब्बल ने यह बयान दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रकरण में उमर खालिद, कन्हैया कुमार आदि के खिलाफ अदालत में पेश चार्जशीट के संदर्भ में दिया।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले केजरीवाल सरकार से इजाजत क्यों नहीं ली गई? क्या आपके पास लीगल डिपार्टमेंट नहीं है? अदालत ने कहा कि जब तक दिल्ली सरकार इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत नहीं दे देती है, तब तक इस पर संज्ञान नहीं ली जाएगी.

  >> आज कोर्ट ने 2014 की रैली में राष्ट्रीय ध्वज ÓअपमानÓ के लिए दिल्ली के सीएम केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी।

इस अनुमति के बाद सागर में मध्य प्रदेश की अदालत ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आप कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी है। सागर, बीना, खुरई और दिल्ली में मामले दर्ज किए जाएंगे।

एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस जांच करेगी। कोर्ट में चार्जशीट दायर करेगी। फिर कोर्ट पूछेगा क्या मध्यप्रदेश की सरकार से अनुमति लिये हैं?

महागठबंधन की अगुवाई करने वाली कांग्रेस की मध्यप्रदेश की सरकार क्या अनुमति देगी? अनुमति नहीं देने पर क्या राष्ट्रध्वज का अपमान करने वालों को सजा मिल सकेगी?

एक ओर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोही हरकतों को भी अनुमति दी जा रही है। तो दूसरी ओर इन्हीं राजनीतिक तत्वों द्वारा एक्सिडेंटल प्राईम मिनिस्टर पर लगे रोक लगाने के लिये कलकत्ता, लुधियाना, इंदौर आदि स्थानों पर हिंसात्मक प्रदर्शन हुए हैं।  

आज आवश्यक्ता है कि देश की सुरक्षा और देश की एकता के लिये देशद्रोह कानून को इस प्रकार से कठोर बनाया जाये जिससे की ऊपर लिखे तर्क देकर देशद्रोहियों को बचने का मौका मिल सके।

एक अन्य कानून भी इस प्रकार से बनाना चाहिये कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर तुष्टिकरण की नीति और देश की एकता के साथ खिलवाड़ किया जाये।