स्वराज अभियान के अध्यक्ष योगेंद्र यादव मौसम के अनुसार रंग बदलने में माहिर है। कभी सलीम बनकर तो, कभी अर्थशास्त्री और किसान बनकर अपने बहुरूप का प्रदर्शन करते रहते हैं। ‘पॉलिटिकल कीड़ा’ ने एक पुराना वीडियो शेयर कर ‘इच्छाधारी आन्दोलनजीवी’ योगेंद्र यादव की पोल खोलकर रख दी है। इस वीडियो में योगेंद्र यादव किसानों को सीधे बाजार तक पहुंच मिलने की वकालत करते नजर आ रहे हैं। लेकिन आज इसी के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं।
योगेंद्र यादव आज दर्शन पाल और राकेश टिकैत जैसों के साथ मिल कर ‘किसान आंदोलन’ का चेहरा बने हुए हैं। योगेंद्र यादव जिन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, कभी इसी तरह के कृषि कानूनों को लाने की वकालत कर रहे थे। उन्होंने मौजूदा सिस्टम को ख़त्म करने की बात करते हुए बिचौलियों पर लगाम लगाने की बात कही थी। उन्होंने आशंका जताई थी कि बिचौलिए और सरकार मिले हुए हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि पूरा का पूरा बाजार आज उन लोगों के कब्जे में है, जो न तो उत्पादन कर रहे हैं और न ही उपयोग कर रहे हैं।
इसमें योगेंद्र यादव समझाते हुए कहते हैं कि बेचने वाले उत्पादक और खरीदने वाले ग्राहक के बीच फ़िलहाल 7 लेयर हैं, जिन्हें कम किया जाना चाहिए। तब उनकी मांग थी कि सरकार को बाजार को रेगुलेट करना पड़ेगा क्योंकि सारी चीजों की मार किसानों पर ही पड़ रही है। साथ ही उपभोक्ताओं को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका जोर था कि उपभोक्ता और उत्पादक दोनों को पीसने से रोका जाए। आज जब मोदी सरकार ने इन्हीं समस्याओं को ख़त्म करने के लिए 3 कृषि कानून बनाया है, तो योगेंद्र यादव उनके भी विरोध में खड़े हो गए हैं।
राज्यसभा में सोमवार (8 फरवरी, 2021) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिना बात हर चीज का विरोध करने वालों के लिए ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का प्रयोग किया था। ये शब्द योगेंद्र यादव जैसे लोगों के लिए काफी उपयुक्त है, जो अपने फायदे के लिए मुद्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं और लोगों को गुमराह करते हैं। ऐसे लोग न तो जनता का भला करते हैं और न ही देश का।
योगेन्द्र यादव को अगर आप पहली बार देखे और नाम पता नहीं हो तो आप धोखा खा जाएंगे। पहनावे और हाव-भाव देखकर आप पहली नजर में कहेंगे कि वो मुस्लिम व्यक्ति है। लेकिन जब आप नाम जानेंगे तो और उलझन में पड़ जाएंगे। जिन्हें दुनिया योगेन्द्र के रूप में जानती है, वो दरअसल सलीम है। एक बहुरुपिया बनकर योगेन्द्र यादव लोगों को गुमराह करने का कोई मौका नहीं चुकते हैं। हर वो मंच पर दिखाई देते हैं, जहां पर मोदी सरकार और देश के खिलाफ आवाजें बुलंद की जाती हैं।
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