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डेंगू संक्रमण पर नए अध्ययन से संक्रमण रोकने की रणनीति बनाने में मिलेगी मदद

12 फरवरी (भाषा) दिल्ली में घनी आबादी वाले इलाकों में नल के पानी तक पहुंच डेंगू के खतरे का बड़ा संकेतक है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है और कहा गया है कि इससे शहरी क्षेत्रों में घातक वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए नयी रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान, दिल्ली के विक्रम कुमार समेत कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि शहरों में डेंगू वायरस समेत मच्छर जनित रोगाणुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।उन्होंने कहा कि शहरीकरण की बढ़ती रफ्तार के कारण दुनिया में करीब 3.5 अरब लोगों के डेंगू से संक्रमित होने का खतरा है।

शोध पत्रिका ‘पीएलओएस नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज’ में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दिल्ली में वायरस के खतरे के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय जोखिम कारकों का विश्लेषण किया है। उन्होंने 2107 लोगों के शरीर में डेंगू की एंटीबॉडी और शहर के 18 इलाके में मच्छर के लार्वा की मौजूदगी के साथ ही आसपास के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं का भी ध्यान रखा।

विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि सर्वेक्षण में शामिल जिन 7.6 प्रतिशत लोगों में डेंगू की एंटीबॉडी मिली वो हाल में संक्रमित हुए थे। अध्ययन में पाया गया कि जिन इलाकों तक नल के पानी की पहुंच 61 प्रतिशत तक कम थी वहां वायरस के फैलने का ज्यादा खतरा था। बहरहाल, अध्ययन में कहा गया कि मच्छरों की संख्या अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद मध्यवर्गीय लोगों के रिहाइश वाले स्थानों की तुलना में धनाढ्य कॉलोनियों में ज्यादा खतरा पाया गया।