कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही किसानों की कर्जमाफी पर सबसे पहले सरकार ने कदम उठाया था और किसानों के चेहरे खिल उठे, लेकिन जैसे-जैसे कर्जमाफी की प्रक्रिया की जा रही है इसमें तरह-तरह की अनियमितताएं भी सामने आने लगी हैं। समितियों एवं बैंकों के माध्यम से किसानों को दिए जाने वाले कर्ज में सबसे ज्यादा समस्या ऐसे किसानों को आ रही है जिन्होंने कर्ज लेने के बाद फसल आने पर उसका भुगतान भी कर दिया। लेकिन कर्जमाफी की सूची में ऐसे किसानों का नाम कर्जदार के रूप में शामिल हैं। इतना ही नहीं कई ऐसे किसानों के नाम भी कर्जमाफी की सूची में सामने आ रहे हैं जिन्होंने कर्ज लिया ही नहीं है। इस तरह की अव्यवस्था से किसानों में हताशा की भावना आ रही है। उनका कहना है कि कर्मचारियों और अधिकारियों की गलती का खामियाजा किसानों को न सिर्फ सामाजिक रूप से बल्कि मानसिक एवं आर्थिक रूप से उठाना पड़ रहा है। शासन-प्रशासन इसकी जांच करवाए और जो भी दोषी हो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इस तरह के हैं मामले
किसानों की ऋण माफी पर सवाल उठाते हुए मझियार निवासी सुरेश प्रताप सिंह तथा एसपी शुक्ला ने बताया कि उन्होंने मझियार सहकारी समिति से कर्ज में डीएपी खाद की खरीदी किए थे। एसपी शुक्ला ने बताया कि उन्होंने 3 हजार रुपए में खाद खरीदी थी और खाद की रकम भी उन्होंने जून में ही जमा कर दिए थे। जबकि उनका नाम किसानों की ऋण माफी सूची में शामिल है। कुछ इसी तरह सुरेश सिंह ने बताया कि 4300 रुपए खाद का उन्होंने जमा कर दिया था और अब उनका नाम सूची हैं। जब उन्होंने कर्ज की राशि जमा की है तो ऋण माफी की सूची में नाम शामिल करना कहीं न कहीं समिति के कर्मचारी के द्वारा की गई गड़बड़ी सामने आ रही है। इसकी जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो अन्यथा आन्दोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
जवा में भी सामने आई गड़बड़ी
जिले के तराई अंचल स्थित जवा तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत वीरपुर, बरेतीकला, बरेतीखुर्द, रिमारी के कई किसानों के नाम सेवा सहकारी समिति द्वारा निकाली गई सूची में सामने आया है। किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज नहीं लिए इसके बाद भी कर्जदार बना दिया गया। कई किसानों ने बताया कि कर्ज की राशि जमा उन्होंने कर दी है। इसके बाद भी उनका नाम सूची में शामिल है। रिमारी के किसान तथा उप सरपंच राजधर यादव एवं सत्यनारायण तिवारी सहित अन्य किसानों ने इसकी शिकायत भी की है। वीरपुर निवासी सुखलाल दुबे ने बताया कि 21880 रुपए, रजिया मिश्रा 72024, छोटेलाल कुशवाहा 88650, विंध्येश्वरी कुशवाहा 51717, भगवत कुशवाहा 57086, रामाश्रय कुशवाहा 73914, रामदेव कुशवाहा 30922, मणिराज सिंह ग्राम खाझा, झल्लर चर्मकार, मंगल पाण्डेय, रामाश्रय कुशवाहा सहित कई ऐसे किसानों ने बताया कि सूची में उनके नाम से कर्ज की राशि लिखी हुई है। जबकि उन्होंने कर्ज की रकम जमा कर चुके हैं। इसकी रसीद भी उनके पास मौजूद है। तो वहीं रिटायर कैप्टन शैलेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने समिति से कभी लोन नहीं लिया और 14 हजार का कर्जदार बना दिया गया है। इसी तरह अन्य लोगों ने भी सूची में नाम सामने आने पर आपत्ति दर्ज कराई है।
294 प्राप्त हुई शिकायतें
ऋण माफी को लेकर जिले में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है जहां जिला प्रशासन द्वारा लगातार ऋण माफी पर की जा रही कार्रवाई और मिल रही शिकायतों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि लगभग 294 शिकायतें जिला प्रशासन के समक्ष प्राप्त हुई हैं। उक्त शिकायतों में कर्ज जमा करने के बाद भी नाम सूची में आना तथा बिना कर्ज लिए ही कर्जदार बनाए जाने सहित आवेदन फार्म भरने में आ रही समस्या तथा कर्मचारियों की मनमानी आदि तरह की शिकायतें पहुंच रही हैं।
90 प्रतिशत भरे गए फार्म
कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो ऋणमाफी योजना के तहत 90 प्रतिशत फार्म भरने का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। जिले में 99545 फार्म मार्च 2018 तक की अवधि में ऋण माफी के भरे जाने हैं। उसके एवज में 86056 के लगभग आवेदन फार्म भरे गए हैं। जबकि शासन के निर्देशानुसार इसकी प्रक्रिया अभी की जा रही है।
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ऋण माफी में जो भी शिकायतें प्राप्त हो रही हैं उसकी जांच करवाई जा रही है और संबंधित से सवाल-जवाब भी किया जा रहा है। जो भी अन्य शिकायतें प्राप्त होगी उस पर भी एक्शन लिया जाएगा। 90 प्रतिशत फार्म भरने का काम लगभग पूरा हो रहा है।
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