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Editorial :- 2019 मतदान से पहले ही ईसाई बाहुल्य अरुणांचल में भाजपा की दो सीटों पर जीत का संदेश…..

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27 March 2019

>> अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लेकिन मतदान से पहले ही भाजपा के लिए वहां से एक साथ दोदो खुशखबरी गई। पार्टी ने वहां विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने से पहले ही वहां की दो सीटें जीत ली हैं।  यह जीत क्या संदेश देती है?

कांग्र्रेस सांपद्रायिक पार्टी है या भाजपा?

>> इसी अंक के प्रथम पृष्ठ में प्रकाशित समाचार है  : हिन्दू रीतिरिवाजों से खिन्न कॉन्ग्रेसी टुकड़ेटुकड़े गैंग ने शस्त्र पूजा को लेकर लोकसभा चुनाव में सबसे युवा भाजपा प्रत्याशी पर हमला

संघ के नाम से दिनरात भाजपा को कोसने वाले और सांप्रदायिकता भड़काने वाले कांगे्रस और वामपंथी नहीं तो और कौन हैं?

>>  सात राज्यों में अल्पसंख्यक हैं हिंदू।    इन सभी अल्पसंख्यक हिन्दू प्रांतों में भाजपा शनै:शनै: कांग्रेस को हटाकर शासन कर रही है।  यहॉ तक की जम्मू कश्मीर में भी उसका शासन रहा।

>> बीबीसी में २२ फरवरी २०१८ को एक समाचार विश£ेषण का शीर्षक था :  पूर्वोत्तर में भाजपा: शून्य से शुरू हुआ सफऱ सत्ता की रेस तक।

2016 में भाजपा ने असम में सत्तारूढ़ कांग्रेस को बड़े फर्क से हराया और यहां की सत्ता पर काबिज़ हो गई।

इसी प्रकार से त्रिपुरा और नार्थईस्ट के इसाइ बाहुल्य छोटेछोटे प्रांतों में भी भाजपा ने कांग्रेस की सरकार को हटाकर अपनी सरकार बनाकर यह सिद्ध कर दिया कि कांगे्रेस धर्म के नाम पर लोगों को भड़काकर शासन करते रही है परंतु अब   मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र को लेकर चलकर लोगों का विश्वास अल्पसंख्यकों का भी विश्वास यहॉ तक की इसाई संप्रदाय का भी विश्वास अर्जित करते जा रही है।

ठीक इसके विपरीत क्रिस्चियन सोनिया गांधी के नेतृत्व में चलने वाली कांगे्रस धीरेधीरे शून्य की ओर अग्र्रसर हो रही है।

कांग्रेस अभी भी सोचती है कि वह हिन्दुओं को अल्प संख्यक बनाकर अन्य धर्मावलंबियों को बहुसंख्यक बनाकर भाजपा के विरूद्ध चुनाव जीत सकती है। धर्म संप्रदाय और जाति के आधार पर कांग्रेस ६० वर्षों तक शासन करती रही है अब वे दिन लद गये हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ४४ पर सिमट गई है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को हिन्दू संप्रदाय से अलग करने का उसने षडयंत्र किया।

फिरोज खान के पुत्र राजीव गांधी कैसे हिन्दू हैं? उन्होंने कब हिन्दू धर्म स्वीकार किया?

इसी प्रकार से फिरोज खान के पौत्र अपने आपको वोटों के लिये हिन्दू कहते घूम रहे हैं।

उन्हीं के इशारे पर यूपीए शासनकाल में सुप्रीम कोर्ट में क्रिस्चियन अंबिका सोनी द्वारा हलफनामा देकर यह कहा गया कि राम का कोई अस्तित्व नहीं है, राम मिथक हैं, कपोल कल्पित हैं।

प्रियंका गंाधी का विवाह जब रॉबर्ट वाड्रा से होने लगा तो विवाह की रस्में निभाने वाले पादरी को यह कहा गया कि प्रियंका गांधी कैथोलिक क्रिस्चियन हैं। परंतु पादरी ने यह कहा कि इसमें संशय है इसलिये पुन: उन्हें क्रिस्चियन बनने की  प्रथा से गुजरना होगा। और ऐसा हुआ भी।

अब वोटों के लिये प्रियंका गांधी राहुल गांधी जैसे ही मंदिरमंदिर के द्वारेद्वारे जा रही हैं और  प्रियंका को राम का अवतार मानने वाले पोस्टर चिपकाये जा रहे हैं।

स्मृति ईरानी ने ठीक ही कहा है कि  जो कांग्रेस पार्टी अदालत में दस्तावेज़ देकर कहती थी कि राम का कोई अस्तित्व ही नहीं है, आज उसी पार्टी की नेता प्रियंका गांधी रामभक्त बन कर घूम रही हैं।