मध्य भारत में करीब 10 से 12 फीसद आबादी को अपने प्रभाव में रखने वाली सिकल सेल बीमारी को लेकर शोध में यह निष्कर्ष निकला है कि इससे पीड़ित रोगी को लंबी जिंदगी के लिए जिंदादिल रहना होगा। दरअसल खून की कमी की आनुवांशिक बीमारी सिकलसेल के रोगियों में मानसिक अवसाद, बेचैनी और तनाव जैसी बीमारियां सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होती हैं।
ये मरीज के इलाज और दवाओं के असर पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। ऐसे में मरीजों की हालत सुधरने के बजाय तेजी से बिगड़ती चली जाती है। छत्तीसगढ़ शासकीय सिकल सेल संस्थान के शोधकर्ता चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ. हृषिकेश मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ समेत पूरे मध्यभारत में सिकल सेल मरीजों की संख्या अधिक है।
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