सुमित शर्मा, कानपुरकानपुर में गुरुवार को पंचायत चुनावों के लिए वोटिंग हो रही है। लेकिन सभी की नजर बिकरू गांव पर है। कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मौत के बाद बिकरू गांव के ग्रामीण 25 साल बाद लोकतंत्र के इस पर्व को मना रहे हैं। ग्रामीणों में खुशी का माहौल है, पूरा गांव इसे त्योहार के रूप में मना रहा है। सुबह सात बजे से ही ग्रामीण मतदान स्थल पर लाइन लगाकर खड़े हैं। गांव के बुजुर्ग जो चलने में असमर्थ, परिजन उन्हे गोद में लेकर मतदान स्थल तक पहुंच रहे हैं। विकास दुबे के रहते गांव में उसके खिलाफ या फिर उसके प्रत्याशी के खिलाफ कोई नामाकंन नहीं करता था।दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 02 जुलाई की रात अपने अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू हत्याकांड के बाद एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर विकास दुबे समेत उसके साथियों को एनकाउंटर में मार गिराया था। विकास की मौत के बाद बिकरू गांव के लोग खुद को आजाद महसूस कर रहे थे। विकास दुबे एनकांउटर के 09 महीने बीत चुके हैं। अब ग्रामीणों के मन से विकास नाम की दहशत भी निकल चुकी है। जिसका झलक पंचायत चुनाव में देखने को मिल रही है।पहली बार 10 दावेदार चुनावी मैदान में उतरेबिकरू ग्रामसभा में 25 साल बाद प्रधानपद के 10 दावेदार सामने आए हैं। दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की ग्रामीणों में इस कदर दहशत थी कि कोई भी दावेदार खड़ा नहीं होता था। विकास जिसको चाहता था, उसको निर्विरोध चुनाव जितवाता था। इसके साथ ही विकास जिसे कहता था, ग्रामीण उसे ही वोट देते थे। विकास की मौत के बाद ग्रामीण आजादी महसूस कर रहे हैं। अब वो जिसको चाहें उसको वोट कर रहे हैं, अपनी मर्जी का प्रधान चुनने के लिए मतदान स्थ्ल पर लाइन लगा कर खड़े हैं।अनुसूचित जाति जनजाति का होगा प्रधानपंचायत चुनाव 2021 में बिकरू गांव से अनुसूचित जाति जनजाति का प्रधान होगा। बिकरू ग्रामसभा में डिब्बानिवादा मजरा आता है। गांव की आबादी लगभग 800 है। बिकरू गांव में 7 दावेदारों और मजरा डिब्बानिवादा से 3 दावेदारों ने नामांकन किया है। सभी दावेदार पूरी ताकत से चुनाव के प्रचार-प्रसार में लगे है। वहीं विकास के परिवार ने पंचायत चुनाव से दूरी बना रखी है।25 वर्षों में कौन-कौन बना प्रधानहिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जैसे-जैसे कद बढ़ता गया। उसकी जड़े मजबूत होती चली गई। विकास जिसको चाहता था, उसको ग्राम प्रधान बनाता था। 1995 में विकास दुबे पहली बार ग्राम प्रधान चुना गया था। चुनाव जीतने के बाद लोकतंत्र की चाभी उसके हाथ लग गई। सन् 2000 में अनुसूचित जाति की सीट होने पर विकास ने गांव की गायत्री देवी को प्रत्याशी बनाया था। गायत्री देवी चुनाव जीत कर प्रधान बन गई। 2005 में जनरल सीट होने पर विकास के छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान चुना गया। सन् 2010 में बैकवर्ड सीट होने पर विकास ने रजनीश कुशवाहा को मैदान में उतारा था। रजनीश कुशवाहा ग्राम प्रधान चुना गया। 2015 में अंजली दुबे दोबारा निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गई थी। प्रधान कोई भी बने लेकिन उसकी चाभी विकास के हाथों में रहती थी।
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