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Prayagraj News: 35 साल से फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर कर रहा था सरकारी नौकरी, दर्ज हुई FIR

प्रयागराज35 साल से फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहे एक शख्स के खिलाफ प्रयागराज कर्नलगंज थाने में फर्जीवाड़ा करने का मुकदमा दर्ज करवाया गया है। प्रयागराज के समाज कल्याण कार्यालय के एक कर्मचारी ने नौकरी हासिल करने के लिए राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का फर्जी सर्टिफिकेट लागया था, जिसकी शिकायत कौशांबी के रहने वाले एक व्यक्ति ने की थी। इसी आधार पर जब जांच की गई तो कर्मचारी दोषी पाया गया। वहीं, दोषी पाए जाने के बाद अपने कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ कर्नलगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।आशु लिपिक हिंदी का का फर्जी प्रमाण पत्रप्रयागराज विकास भवन में बने जिला समाज कल्याण कार्यालय में चार फरवरी 1986 में अनुदेशक पद के लिए वैकेंसी निकाली गई थी, जिसमें आरोपी कर्मचारी रामदुलार ने भी अप्लाई किया था। नौकरी पाने के लिए आरोपी रामदुलार ने राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान नैनी का आशुलिपिक हिंदी का फर्जी प्रमाण पत्र लगाया था। इस बात की शिकायत कौशांबी के रहने वाले अवध बिहारी ने अगस्त 2020 में लिखित तौर पर समाज कल्याण ऑफिस मुख्यालय लखनऊ में की था। लखनऊ मुख्यालय से प्रयागराज कार्यालय शिकायत को भेजा गया और जनवरी 2021 से जांच शुरू की गई। 15 जनवरी में ही आरोपी रामदुलार की सारी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। जनवरी में विभागीय जांच की गई तो रामदुलार का सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया। सर्टिफिकेट जांच के लिए (राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) जीआईटीआई भेजा गया। जहां पर जांच में सर्टिफिकेट फर्जी मिला, क्योंकि जिस सत्र का सर्टिफिकेट में उल्लेख किया गया था, वह जीआईटीआई के रजिस्टर्ड में ऐसा कोई स्टूडेंट ही नहीं था।एफआईआर हुई दर्जजिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के ग्रेड 3 पद पर तैनात विकास सिंह ने एक महीने पहले कर्नलगंज थाने में रामदुलार के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने का मुकदमा दर्ज करने को शिकायत दी गई, लेकिन एफआईआर बीते बुधवार को पुलिस ने दर्ज की। समाज कल्याण अधिकारी के मुताबिक, राजदुलार अनुदेशक पद पर कार्यरत हैं। राजकीय आईटीआई नैनी का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नियमित पिछले कई सालों से वेतन ले रहे थे। वहीं, पुलिस इस पूरे मामले के सामने आने के बाद जांच में जुट गई है। शिकायतकर्ता ने नौकरी में उपयोग हुए रामदुलार के हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और जीआईटीआई के प्रमाण पत्र के फर्जी होने की शिकायत विभाग में की थी। अभी हाईस्कूल और इंटर के सर्टिफिकेट की भी जांच चल रही है।